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भारतीय निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और कोरोना महामारी (Indian private healthcare sector and corona epidemic)

Indian private healthcare sector and corona epidemic

Indian private healthcare sector and corona epidemic

डॉक्टरी के पेशे को भारत में सबसे नेक पेशा माना जाता है जिसका भाव सेवा से जुड़ा है। परन्तु आज कल ये सेवा से ज्यादा मेवा से जुड़ा लग रहा है। अक्सर ये सुनने में आता है कि बड़े बड़े अस्पतालों में डॉक्टर्स (Indian private healthcare) को मार्केटिंग वालो की तरह टारगेट दिए जाते है और वे अपने टारगेट पूरा करने के लिए मरीज को महँगा इलाज करने की सलाह देते है जिस से उस हॉस्पिटल की ज्यादा कमाई हो। अगर आप मध्यम वर्ग या उससे नीचे वाली श्रेणी में आते है और अगर आपके पास मेडिकल इन्शुरन्स है तो ही आप इन में जाकर अपना इलाज करवा सकतें है।

मतलब ये हुआ की आजकल डॉक्टर्स (Indian private healthcare) का ध्यान सेवा धर्म के इस पेशे से हट कर पैसे कमाने में लग गया है। इसका एक और उदहारण अभी कोरोना महामारी (corona epidemic) के चलते नजर आया है। जैसे ही देश में महामारी की वजह से लॉकडाउन कर दिया गया परन्तु ये लॉकडाउन मेडिकल सेवाओं के लिए नहीं था। इस बीमारी से लड़ने में तो इनका ही सबसे बड़ा योगदान होना है। परन्तु सबसे पहले प्राइवेट क्लीनिक, हॉस्पिटल (private healthcare sector) बंद हो गए। मैं अपने शहर की बात करू तो मेरे शहर में स्कूल और अस्पतालों की भरमार है और जैसे ही लॉकडाउन हुआ सभी डॉक्टर्स से अपने हॉस्पिटल और क्लिनिक बंद कर दिये।

इनमें से कुछ डॉक्टर्स काम कर रहें थे तो उन्होंने अपनी फीस दोगुनी या उससे भी ज्यादा कर दी और उसको इमरजेंसी कंसल्टेंसी का नाम दे दिया। जरा सोचो लॉकडाउन से सभी काम धंधे बंद हो गए बहुत से लोगो की नौकरी चली गयी जिनकी नौकरी है उनकी सलैरी कम मिल रही है तो उनके पास पैसे की कमी हो गयी और ऐसे में आप बीमार हो गए तो पहले तो आपको डॉक्टर ही नहीं मिलेंगे क्योकि जिनका काम इस बीमारी से लोगो को बचाने का था वो खुद ही इसे डर कर छुप गए और जो है वो इसे अपनी कमाई को दुगना करने में लगे है।

अब गौर किया जाए तो इस इमरजेंसी की स्थिति में काम आयी तो हमारी सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं (Government health services)। जिनको हम हमेशा प्राइवेट वालो से बुरा मानते है। आज उनके कर्मचारी दिन रात सेवा में लगे है। हमारी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत से कमी है फिर भी जितना है उतने में जो बन सकें किया जा रहा है।

इस से ये सबक मिलता है कि हमें अपनी सरकारी मेडिकल सेवाओं का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। ज्यादा लोग इन सेवाओं का प्रयोग करेंगे तो सरकार भी इन पर ज्यादा ध्यान देंगी। मैं व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार से ये निवेदन करना चाहूंगा कि देश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जाए जिस से आम इंसान इन प्राइवेट क्लीनिक और हॉस्पिटल के चुगल से निकल सकें।

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