विटामिन-डी की कमी ( Vitamin D deficiency ) का शीर्षक पढ कर आप चौंक तो नहीं गए? पर ये सच है। भारत में 2019 में एक सर्वे किया गया था जिसमें ये बात सामने आयी कि अपने देश में 70% से 90% लोगो में विटामिन-डी की कमी ( Vitamin D deficiency )है। शायद अगर आप अपना विटामिन-डी का टेस्ट करवाएं बहुत ज्यादा संभावना है कि आप में भी या तो कम आएगा (deficiency) या अपर्याप्त (insufficient) मतलब उतना नहीं जिसे बहुत अच्छा बोला जाए।
मैंने जब अपना टेस्ट करवाया था तो मुझे में भी अपर्याप्त (insufficient) आया जबकि मैं तो खुद nutritionist हूँ। आखिरी के 1.5 साल से covid के चक्कर में घर से काम करना पड़ रहा है जिसकी वजह से धुप में निकलना ना के बराबर है। विटामिन-डी के लिए धुप तो बहुत जरुरी है तभी तो इसको The sunshine vitamin बोला जाता है।
विटामिन-डी के बारे में-
हमारे शरीर में एक विटामिन जिसकी सबसे ज्यादा कमी पायी जाती है वो है विटामिन-डी। जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति आयी तो चिकित्सकों को लंदन और वारसॉ जैसे बड़े औद्योगिक शहरों में रहने वाले बच्चों के बीच एक नई बीमारी का पता चला जिसे रिकेट्स (rickets) नाम दिया गया। इस बीमारी में बच्चों में वृद्धि ना होना, मांसपेशियों ना बनाना, पैरो का टेढ़ा-मेढ़ा होना इत्यादि था।
उस समय Jedrzej Sniadecki नामक पोलिश डॉक्टर ने ये देखा कि जो बच्चे वारसॉ शहर में रहते थे, उनमें पोलिश देहात में रहने वाले युवाओं की तुलना में रिकेट्स(rickets) का अधिक प्रभाव था। Dr. Sniadecki ने सोचा कि शायद यह वारसॉ की तंग भीड़ में धूप की कमी थी जो इस स्थिति के लिए जिम्मेदार थी। तो वे उनमें से कुछ बच्चों को देहात क्षेत्र में ले गए जहा उनको खूब धुप मिली और वे सही भी हो गए।
सन 1930 के आस-पास आखिर ये पता लगा लिया गया कि रिकेट्स(rickets) बीमारी का सम्बन्ध शरीर में विटामिन-डी की कमी से है। तो दूध में विटामिन-डी मिलाया जाने लगा जिस से धीरे धीरे ये बीमारी खत्म हो गयी।
फिर कई सालो बाद ये खोज हुई कि विटामिन डी एक विटामिन नहीं है यह एक हार्मोन है जो शरीर के भीतर बनता है वहां से ये खून में मिलता है और लीवर और किडनी में ये शरीर की जरुरत अनुसार बदलता है फिर वहाँ से सब जगह जाता है जहां जहां इसकी जरुरत है।
कैसे बनता है-
जैसा मैंने बताया कि ये एक हार्मोन है जो हमारा शरीर कॉलेस्ट्रॉल और सूरज की Type B Ultraviolet किरणों से मिलकर बनाता है। आप खाने से इसकी पूर्ति नहीं कर सकते है। अब अगर आपको अपने शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा रखनी है तो आपको सूरज के संपर्क में तो आना ही होगा।
इसके क्या फायदे है-
आखिर विटामिन डी महत्वपूर्ण क्यों है? इसके हमारे शरीर में क्या फायदे है।
- अगर आपके शरीर में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त होगा तो आपका immune system (रोगो से लड़ने की शक्ति) बहुत मजबूत होगा जिस से आपका शरीर आसानी से किसी भी तरह के वायरस से लड़ सकेगा। इस से Type 1 diabetes होने की सम्भावना भी ना के बराबर होगी। immune system से संबंधित रोग जैसे सर्दी, फ्लू और अन्य संक्रमण से आप बचे रहेंगे।
- विटामिन-डी आपके मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आंतों से कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। जिस से आपकी हड़िया और दाँत मजबूत होते है। विटामिन डी मांसपेशियों के दर्द, हड्डियों के दर्द, पुरानी थकान और ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के साथ-साथ इन्हे होने से भी रोकता है
- विटामिन डी से हमारी त्वचा सामान्य रूप से कार्य करती है इसलिए, सोरायसिस जैसे त्वचा विकारों के उपचार में विटामिन डी बहुत सहायक होता है।
- यह हमारे तंत्रिका तंत्र (nervous system) के लिए उचित पोषण देता है जिस से हम मानसिक रूप से स्वास्थ्य होते है। यह अवसाद (depression) जैसे विकारों (mood disorders) की रोकथाम और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विटामिन डी हमारे शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को उत्तेजित करता है यह इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) को भी कम करता है। इसलिए विटामिन डी टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के रोकथाम के साथ-साथ इसके उपचार में मदद करता है।
- दिल से संबंधित रोगों से बचाने में ये बहुत मदद करता है।
विटामिन-डी की कमी (Vitamin D deficiency) होने के कारण क्या है-
- इसका सबसे बड़ा कारण आजकल का हमारा लाइफ स्टाइल यानि रहन सहन है। हम जितना विकसित होते जा रहे है उतना ही प्रकर्ति से दूर होते जा रहे है। जैसे मैंने पहले भी बताया था की सबसे पहले विटामिन-डी की कमी (Vitamin-d deficiency) से होने वाले रोग जब होने शुरू हुए थे जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति आयी वैसे ही लोगो का रहना सहना बदल गया छोटी जगह पर रहना जहाँ धुप न आती हो फैक्ट्री से निकलते धुँए से प्रदूषण होना जिस से सीधा सूरज से निकलने वाली किरणों का प्रभाव नहीं पड़ना इत्यादि रहा। आज भी यही कारण है हमने अपने आप को घर और ऑफिस तक सीमित कर लिया है। घर से ऑफिस जाने के लिए भी वाहनो का प्रयोग करना और प्रदूषण तो आज भी है ही। इन सब में धुप में निकलना तो हो ही नहीं पता।
- दूसरा इसका सबसे बड़ा कारण है मोटापा। विटामिन डी वसा (fat soluble) में घुलनशील है तो अगर आपके शरीर में मोटापा ज्यादा होगा तो ये आपके वसा (fat) में चला जाएगा और आपके शरीर को इसकी पूरी मात्रा नहीं मिल पाती है। अमेरिका के लोग तो बहुत पहले से ही मोटापे के शिकार है किंतु अब तो भारत में भी इसका ग्राफ बहुत ज्यादा हो गया है।
- कुछ बीमारिया जैसे लिवर और किडनी में परेशानी होने से भी इसकी कमी हो जाती है क्योकि इनके द्वारा ही शरीर से आया विटामिन -डी बदल कर उस रूप में बनता है जो हमारे लिए काम में आ सकें।
कैसे पता करें कि विटामिन-डी की कमी (symptoms of vitamin d deficiency) है-
इसका सबसे आसान तरीका तो है कि आप अपना लैब टेस्ट करवा ले। इस टेस्ट के लिए किसी डॉक्टर की अनुमति की जरुरत नहीं होती है इसे विटामिन-डी टेस्ट या vitamin D, 25 – Hydroxy, serum टेस्ट भी बोलते है।
अगर आप में विटामिन डी की कमी है तो उसके लक्षण(symptoms of vitamin d deficiency) जो आपको हो सकते है जैसे कि-
- सबसे ज्यादा इसकी कमी होने से होने वाली परेशानी है शरीर के दर्द, जोड़ों के मसल्स में दर्द, अत्यंत थकावट होना।
- हड्डियों का कमजोर होना (osteoporosis) भी इसकी एक पहचान है क्योकि अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी होगी तो आपका शरीर कैल्शियम को पचा नहीं पाएगा। बच्चों की ग्रोथ रुकना भी इसकी कमी के लक्षण है।
- गले व फेफड़ों में बार बार इन्फेक्शन होना, सर्दी, फ्लू और अन्य संक्रमण, क्षय रोग, भी विटामिन डी की कमी का लक्षण है (symptoms of Vitamin D deficiency) क्योकि इसकी कमी के चलते आपका immune system (रोगो से लड़ने की शक्ति) कमजोर हो जाता है।
- 2008 में एक स्टडी की गयी थी जिसमें पाया गया था कि जिन लोगो में विटामिन डी की कमी होती है उनमें दिल की बीमारी होने की संभावना अन्य लोगो से दोगुनी हो जाती है। इसकी कमी से High Blood Pressure होने की संभावना भी रहती है। इन सब परेशानियों में विटामिन डी की कमी होना भी एक कारण हो सकता है।
- बांझपन होना विशेष रूप से पुरुषों में विटामिन डी की कमी का लक्षण है।
- विटामिन डी की कमी ( Vitamin D deficiency ) से diabetes होने का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर आपको diabetes है तो अपना विटामिन डी भी जरूर चैक करवा ले।
- अगर आपके घाव छोटी मोटी चोट सही होने में सामान्य से ज्यादा समय लेती है और आपको diabetes की शिकायत भी नहीं है तो विटामिन डी की कमी ( Vitamin D deficiency ) इसका कारण हो सकता है।
- क्या आपके बाल बहुत झड़ते है तो विटामिन डी का कम होने की संभावना हो सकती है
- सोरायसिस या एक्जिमा (Psoriasis or eczema) जैसी त्वचा से संबंधित बीमारियों का कारण विटामिन-डी की कमी (Vitamin-d deficiency) हो सकती है।
- अगर आपको अवसाद (depression) रहता है तो आप अपना विटामिन डी जरूर चेक करवा लें।
COVID-19 कोरोना वायरस महामारी (coronavirus epidemic) और विटामिन डी
विटामिन डी की कमी से बहुत सी बीमारियां होती है पर डॉक्टर्स इसको कभी गंभीरता से नहीं लेते। ज्यादातर जोड़ों में, मसल्स में दर्द इत्यादि केस में कभी कभी डॉक्टर विटामिन डी को चेक करवा लेते है और बीमारियां जो इसकी वजह से होती है उनमें किसी का ध्यान इस पर नहीं जाता है।
कोरोना वायरस महामारी (coronavirus epidemic) में फिर से विटामिन डी (vitamin d) के बारे में बात होने लगी। कुछ अध्ययन में पाया गया कि कोरोना से प्रभावित वे लोग जिनमें विटामिन डी की मात्रा कम थी उनको दूसरे कोरोना रोगियो के मुकाबले ज्यादा परेशानिया झेलनी पड़ी। इसलिए सभी कोरोना रोगियो को विटामिन डी सप्लीमेंट लेने को बोला गया।
अभी ये पूरी तरह से साबित नहीं हो पाया है की कोरोना रोगियो को अगर विटामिन डी सप्लीमेंट दिया जाएगा तो वो सही हो जायेंगे हो सकता है आगे इस पर कोई अध्ययन या रिपोर्ट आ जाए। किन्तु ये बात सच है कि अगर आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा पूरी होगी तो आपका immune system (रोगो से लड़ने की शक्ति) बहुत मजबूत हो जाएगा जिस से आपको जल्दी से बीमारी नहीं पकड़ेगी।
विटामिन डी की कमी कैसे पूरी करें-
- सूरज की रोशनी में जाना- जैसे में पहले ही बता चूका हूँ विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य की रोशनी ही है मतलब आप ये समझे कि आपकी खाने का इसमें बस 20%-25% ही हाथ है 75% से 80% विटामिन डी तो हमें सूरज से ही मिलता है। प्रतिदिन सुबह 8 से 10 के बीच कम से कम आधा घंटा सूरज की रोशनी में बैठना शुरू करें। कोशिश करें कपडे जितना कम हो उतना अच्छा रहेगा। एक बात का और ध्यान रखें कि सूरज की रोशनी आप तक सीधी आये कुछ लोग कांच की खिड़की के आगे बैठते है उसका कोई फायदा नहीं है।
- आहार की बात करें तो हमारे पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है आप दूध और दूध से बनी चीजें ज्यादा लें। अगर आप मांसाहारी है तो आप मछली का सेवन ज्यादा करें
- इसके साथ साथ अगर आपके शरीर में विटामिन-डी की कमी (Vitamin D deficiency) बहुत ज्यादा है तो आप किसी अच्छे सप्लीमेंट को भी ले सकते है जिस से जल्दी से रिकवरी हो जाए। कौनसा लें वो इस बात पर निर्भर है कि आपको जरुरत कितनी है और ये आपके डॉक्टर आपकी रिपोर्ट देख कर आपको बता सकते है की शुरुवात में जल्दी से पूर्ति करने के लिए आपको प्रतिदिन कितनी लेनी चाहिए।
विटामिन-डी (Vitamin D) की तरह एक और विटामिन है जिसका बहुत महत्व है परन्तु उसको भी इसके जैसे नज़रअंदाज़ किया जाता है वो है विटामिन बी 12. आप इसके बारे में लिखा मेरा लेख जरूर पढ़े.
विटामिन बी 12 की कमी आपके शरीर की थकान और कमजोरी का कारण हो सकती है (Vitamin B12 deficiency can be the reason of your body fatigue and weakness)