आज हम ये बतायेगे के हमारा शरीर (Human body type) आयुर्वेद(Ayurveda) के सिद्धांत के अनुसार कितने प्रकार का होता है। आयुर्वेद में मानव शरीर (Human body)की रचना का अध्यन उसके सारतत्व के आधार पर किया जाता हैं। आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर में निम्नलिखित की उपस्थिति होती है ।
१. सात कला
२. सात आशय
३. सात धातु
४. सात उपधातु
५. सात त्वचा
६. तीन दोष
७. नौ सौ सनायु
८. दो सौ दस नाड़ी – सन्धि
९. तीन सौ हड्डियों
१०. एक सौ आठ मर्मस्थान
११. सात सौ शिरायें
१२. चौबीस रसवाहिनी
१३. पांच सौ मांसपेशी (स्त्रियों में ५२० हैं )
१४. सोलह बड़े सनायु
१५. दस छिद्र (स्त्रियों में १३ छिद्र हैं )
इनके बारे में विस्तार जानकारी हम आने वाले लेखो में देंगे।
आज हम मानव शरीर (Human body type) के तीन दोषो के बारे में बात करेंगे, वात(vata), पित्त(pitta) और कफ(kapha), इन तीनो को दोष कहते हैं और धातु भी कहते हैं। ये संतुलन में रहे तो हम पूर्ण स्वस्थ रहते हैं। इनका असंतुलित होना ही रोग का कारण बनता है। वात, पित्त और कफ शरीर के सभी भागों में रहते हैं किंतु विषेश रूप से वात नाभि के नीचे वाले भाग में, पित्त नाभि और हृदय के बीच में, कफ ह्रदय के ऊपर वाले भाग में रहता हैं। बचपन में कफ का असर होता हैं, यूवा अवस्था में पित्त का और वृद्धावस्था में वात अथार्त वायु का असर होता हैं। इसी तरह सुबह में कफ का प्रभाव होता है, दिन में पित्त का प्रभाव होता है, दिन के अंत में वात का प्रभाव होता है। सबसे स्वस्थ मानव वही होता है जिसमें वात, पित्त और कफ तीनो सम होते है। अगर हम अपने भोजन पर ध्यान रखे तो हम इन दोषो से बच सकते हैं।
वात का स्वरुप– वात(vata) मतलब वायु, वायु अन्ध दोषो और रस, रक्त, मॉस, मेद आदि धातुओ को दूसरी जगह पहुँचने वाली, हल्की, रुखी और चंचल होती हैं। वात के प्रकोप से अंग-भेद, कम्प, शरीर का लाल रंग होना, मुख का स्वाद कसैला होना, शरीर सुखना, शरीर में थकान, पेशाब काम आना, जोड़ो में दर्द होना आदि जैसी परेशानिया हो सकती है।
वात के असंतोलन होने के मुख़्य कारण कसैले और शीतल पदार्थो का ज्यादा सेवन करना, बहुत खाना, दोपहर के बाद स्नान करना, मसूर, मटर, जौ, मोटे चावल आदि का अधिक सेवन करना हो सकता है। वात (वायु) के दोष को काम करने के लिए मीठे, खटटा, नमकीन, चिकने और गर्म द्रव्यों का सेवन करना चाहिए।
पित्त का स्वरुप– पित्त(pitta) तीष्ण, गर्म, लघु, चरपरा, दस्तावार, एक तरह का पतला द्रव्य होता है। यह आमाशय और पक्वाशय में रहकर छह प्रकार के आहारो को पचाता है तथा रस, मूत्र, मल आदि को अलग करता है और हमारे शरीर को पोषण देता है। इस पित्त को जठराग्नी अथवा पाचक अग्नि भी कहते है।
पित्त के कम होने से भूख काम लगना, शरीर की गर्मी कम होना और शरीर की रौनक कम हो जाना आदि जैसी परेशानिया हो सकती है। इसके बढ़ने से भी नींद कम आना, बेहोशी होना, बल की हानि होना, मांसपेशियों का दुर्बल होना आदि जैसी परेशानिया हो सकती है।
पित्त के असंतोलन होने के मुख़्य कारण ज्यादा गुस्सा करना, उपवास करना, मैथुन, तिल, सरसो, मछली, बकरी और भेड़ का मांस, शराब, खट्ठे फल, आदि का अधिक सेवन करना हो सकता है।
पित्त की शान्ति के लिए मधुर, शीतल द्रव्यो का सेवन, मुनक्का, केला, आवला, खीरा, गेहूँ, चीनी, मिश्री, जौ, चना, मित्र-मिलान, हँसना, नाचना, आदि करने चाहिए।
कफ का स्वरुप– कफ(kapha) शीतल, सफेद, चिकना, खारापन वाला और स्थिर होता है। इसका कार्य अन्न को गीला करना और इकठा हुए अन्न को अलग करना तथा अपनी शक्ति से शरीर के दूसरे स्थानो को भी जल कर्म द्वारा सहायता पहुचाना होता है।
कफ के असंतुलित होने से नींद कम आना, शरीर का भारी लगना, शरीर का दुर्बल होना आदि जैसी परेशानिया हो सकती है। इसका कारण मेहनत ना करना, मीठा, खट्टा और नमकीन का अधिक सेवन करना, जल-जीव का मांस, एक भोजन पचे बिना दूसरा भोजन करना, शीतल, चिकना, भारी पदार्थो का अधिक सेवन करना, रात को जागना, दिन में अधिक सोना, आदि हो सकते है।
कफ के प्रकोप से बचने के लिए कसरत करना, मेहनत करना, गर्म दूध का सेवन करना, स्त्री-प्रसंग, गर्म पदार्थो का अधिक सेवन करना, शरीर में तेल लगाना, त्रिफला का सेवन करना, चना, मूँग, लहसुन, प्याज, नीम, सौठ, आदि का सेवन करना चाहिए।
इन तीनो दोषो को संतुलन हम अपने आहर-विहार आदि का सही उपयोग से सही कर सकते है। इस ब्लॉग में हम दैनिक जीवन के आहर-विहार के सभी गुण-धर्म के बारे में चर्चा करेंगे, हम बताएंगे किस भोजन से आपको कौन से पोषक तत्व मिलते है, अपना स्वास्थ्य सही रखने के लिए आपको अपने भोजन में किन किन जरुरी खानो को जोड़ना चाहिए।
अगर आपको हमारा ये लेख – “प्राचीन आयुर्वेदा के अनुसार हमारा शरीर कितने प्रकार का होता है। (human body type according to ancient ayurveda in hindi)” पसंद आया हो तो अपनी प्रतिक्रिया(comments) जरूर लिखें।
31 thoughts on “प्राचीन आयुर्वेदा के अनुसार हमारा शरीर कितने प्रकार का होता है।”
Mughe sbhu uthe hi puri body m frd, kaano se hwa k clne ki aawaj aana.sir m bharipn jese ki hwa m ho.aanke kai baar laal ho jaati h.to yh kon sa dosh bdne se ho skta h.or kripya smadhan btaayen.or sir y problm srdiyon k smy jayada hoti h
Or yh rog srdiyon k mosm m jukaam k sath suru hua tha.krpya btaane ka kst kren ki esa kyun hota h.aapka aabari rhunga ji
धन्यवाद चन्दन। हमें खुशी है कि हमारा लेख आपको अच्छा लगा।
आपके सवाल का उत्तर देर से देने के लिए हम माफ़ी चाहेंगे। जैसा की आपने बताया इससे पता चलता है कि आपका कफ असंतुलित है। इसको और अच्छे से समझने के लिए आपको ये समझना होगा कि अगर आपको मीठा, खट्टा , नमकीन खाने पसंद है, आपको आलस बहुत आता है आपका वजन जल्दी से बढ़ता है तो आपका शरीर कफ स्वभाव का है। और जिस व्यक्ति का स्वभाव जिस दोष का होता है उसको उसी स्वभाव की चीजो खाना और उसके अनुसार जीना ( life-style ) पसंद होता है। जैसे कफ स्वभाव वालो को ज्यादा सोना, आराम करना, मीठा खाना पसंद होता है। अब जब ये सब ज्यादा हो जाता है तो कफ असंतुलित हो जाता हैं।
आपको अपने खाने में कड़वा, तीखा , कसैले खाना शुरू करना होगा ये आपके बड़े हुए कफ को संतुलित करने में मदद करेगा। सुबह सूर्य निकलने से पहले जग जाए क्योंकि जैसे-जैसे दिन निकलता है कफ का प्रभाव बढ़ता हैं। दिन में ना सोये। सर्दियो में अपने आप को ज्यादा से ज्यादा गरम रखने की कोशिश करे। प्रतिदिन Garshana (सूखा मालिश) करें ये आपके शरीर में गर्मी बनती है। प्रतिदिन व्यायाम करना , साइकिल चलाना , तैराकी, नृत्य करना, इत्यादि को अपने दिनचर्या में शामिल करें।
इस तरह अपने खाने और रहने एवं जीने के तरीको में बदलाव लायेंगे तो आपका कफ संतुलन में आ जायेगा और आप दवाई से बचेंगे।
आखिरी में एक सलाह – आप प्रतिदिन त्रिफला का प्रयोग करे ये अकेला एक जड़ी बूटीयो का ऐसा मिश्रण हैं जो वात , पित्त और कफ तीनो को संतुलन में रखता हैं बस आपको इसको बनने का सही माप पता होना चाहिए। जल्दी ही इसकी विधि आपको इस ब्लॉग पर पड़ने को मिलेगी
बहुत ही उपयोगी जानकारी दिया सर आपने, ये लेख बहुत अच्छा लगा
ayurved ke anusar vata ; pitta ; kapha ; ea alag alag dosha kounse eak dosha badhanese kam hote hai ?
ayurved ke anusar kaunsa dosha kaunse dosha ko kam karta hai?
नंदू जी , जिसका जो दोष असंतुलित होता है उसको उसकी विपरीत खाना और विपरीत जीना मतलब दिनचर्या का पालन करना होता है तो उसका वो दोष संतुलन में आ जाता है। हमने चन्दन जी के सवाल के उत्तर में ये बताया हैं वैसे अगर आप त्रिफला का प्रतिदिन प्रयोग करे तो वो आपके सभी दोषो को संतुलन में ले आता है।
आपको इस बारे में कुछ और पूछना हो तो आप हमे लिख सकते है
Vaat pita kaph ki jankari bahut acchi lagi .abi tak muje kon si cheej khani kaun si nahi pata nahi tha ab main pura dhyan rakhunga.muje piles hai ya ulser abi tak ye confirm nahi toiet jane se kabhi mahine blood ata hai kripya marg dharsan karen
धन्यवाद जोगिन्दर जी। हमें खुशी है कि हमारा लेख आपको अच्छा लगा।आप किसी अच्छे वैद्य से परामर्श कीजिए वो देखने के बाद ही सही से बता पाएंगे कि क्या बीमारी हैं। इस तरह की बीमारी की जड़ है कब्ज। यही एक वजह है जिस से ये बीमारी होती है अगर आप अपने को कब्ज नहीं होने देंगे तो ये बीमारी कभी नहीं होगी। इसके लिए आप हमारा लेख ‘कब्ज – रोगों की जननी – http://gyaanlok.com/2015/11/24/constipation-mother-of-all-diseases-treatment-hindi/‘ पड़ सकते हैं। वह आपको कब्ज का इलाज और उससे बचने के सभी उपाय मिल जाएंगे। आयुर्वेदा कहता है कि आप अपनी दिनचर्या खान – पान पर ध्यान रखेंगे तो आप बीमार ही नहीं पड़ेंगे। जल्दी ही हम इससे सम्बंधित लेख लाएंगे जिसमें हम बताएँगे कि आप को किस मौसम में कौनसा भोजन करना है और अपनी दिनचर्या को कैसे रखना है जिस से आप को बीमारी ही न लगे।
sir
mera name yasin he aur me gujrat se hu
mera sarir pure sin bhar dhukhta raheta he aur kuch bhi kahne ke baad acidty hoja ti he aur aakho me jalan hoti he dakkar aane baad thoda acha lagta rat ko sarir pura garm hoja ta he aur pet dukhta raheta he pero me dard hath per me khali chadti he kya ho raha he kuch smaj me nahi aa raha kripya kar ke kuch rasta bataye.
Dhanywad.
हमारा लेख को पड़ने और इसमें अपनी रूचि दिखने का धन्यवाद यासीन जी।
आपने जो सब बताया है उन बातो से ये पता चलता है आपको वायु रोग है और इसका कारण होता है वात का असंतोलन होना। वात (वायु) के दोष को काम करने के लिए मीठे, खटटा, नमकीन, चिकने और गर्म द्रव्यों का सेवन करना चाहिए। आप कुछ घरेलू मसाले जिनका स्वभाव गर्म हो जैसे अदरक, काली मिर्च , दालचीनी और जीरा का सेवन अपने प्रतिदिन के खाने में करे। आप अश्वगंधा का प्रयोग करना शुरू कर सकते है वात रोगियों के लिए ये एक गजब की जड़ी बूटी है। बाजार में इसके चूर्ण एवं कैप्सूल मिलते हैं। ये आपके शरीर को ताकत देगा और आपकी वायु को भी नियंत्रण करेगा। आप प्रतिदिन त्रिफला का प्रयोग करे ये अकेला एक जड़ी बूटीयो का ऐसा मिश्रण हैं जो वात , पित्त और कफ तीनो को संतुलन में रखता हैं।
इलाज से परहेज़ बड़ा होता है अगर आप अपने खाने पीने की आदतो में थोड़ा बदलाव कर सके तो आप इस परेशानी से बच सकते है। कुछ सब्जियां आप कम ले तो अच्छा है जैसे पत्ता गोभी, फूलगोभी, बैंगन, मशरूम, टमाटर, तोरई, मटर और ब्रोकोली। कुछ फल को कम खाये जैसे अनार, सेब इत्यदि।
आप ये सब बिल्कुल लेना न छोड़े बल्कि कम ले। ठंडा किया हुए भोजन, प्रसंस्कृत खाद्य ( frozen food, processed food), शीतल पेय से बिल्कुल दूर रहे ये आपके लिए हनिकारक है। आप सूप पी सकते है। कच्चे खाद्य , विशेष रूप से सलाद, आपके लिए सही नहीं है। सभी डेयरी उत्पाद वात को शांत करते है विशेष रूप गर्म दूध अदरक या इलयाची वाला।
आशा करते है आपको अपनी परेशानी का कुछ उपाय मिल गया होगा। आपको इन उपायो को करने से फायदा हो तो हमे जरूर बताना।
आपको इस बारे में कुछ और पूछना हो तो आप हमे लिख सकते है।
dear sir
im chitta ranjan behera
me esa rog ka ilaj kar rahahun jisko alopathic me .hypo kalenic piriodic palacy. kehetehen ye jo rog atac kartahe us wakt gardan se lekr per tak makam hojatahe lakin sar se gardan tak sahi rehetahe
firvi kuchh gantoki bad ar ak do din ke bad khud bekhu arogya hojatahe esko me timely sarbang bat samajh kar ilaj kar rahahun iskeliye . mahalahasun pind. ar jogendra ras kha rahahun . isse pehele gojharan ark khayatha lekin jyda dubla kardene se bajah se band kardiatha .
sir
is rog kelia me ap se salah lena chahantahu
chitta ranjab behera ji, aap humhe editor@gyaanlok.com par detail main mail kare.. humhe aapki help kerke bhut kushi hogi
Dear sir….
I’m Fahad orr mera sawal ye he k mujhe acidity ki bahut pareshni rehti h orr pura din gas bnti rehti chahen kuch khaun ya nhi orr dsre ye k specially khana khane k bd pet phula 2 sa feel hotta h and gas orr zyda stomach prr dabaw daalti h….kch bhi khane ya peene k bd seene prr bhtt jalan orr hurt mhsus hotta hai …mne kfi treatment kraya iska alopathy me kch fayda nhi hua and liver function, H-pylori ( blood orr stool ) bhi kra liya sab normal hain.
I hope sir aap meri prblm smjh gaye honge…pls give me suggestion for this aapka bhtt abhaar hoga …shukriya
fahad ji, आपका वात और पित्त दोनों ही असंतुलित हो रहे है आप गैस से भी पीडित है साथ में आपको एसिडिटी भी है। एलोपैथी आपने ले कर देख ली है जो इसका इलाज नहीं कर सकती है इसका इलाज आपको आयुर्वेद में ही मिलेगा सबसे पहले आप त्रिफला का प्रतिदिन प्रयोग करे तो वो आपके सभी दोषो को संतुलन में ले आता है। इसके अलावा आप आंवले का मुरब्बा भी खाना शुरू कर दे। दिन में एक बार पपीता खाये और एक बार भुने हुए चने खाये इससे आपकी पाचन किर्या सही होगी और आपको अपना पेट हल्का लगेगा। हम अपने खान-पान को सही करके भी बहुत रोगों से छुटकारा पा सकते है।
जल्दी ही हम आप सभी के लिए एक और ऑनलाइन वेबसाइट लाने वाले है जहाँ आपको मुख्य रूप से आयुर्वेद डॉक्टर / वैद्यराज से भी मुफ्त में सलाह दिलाने का काम करेंगे । वहाँ आपका आयुर्वेद दवाईओ से भी इलाज किया जायेगा। आप ऑनलाइन डॉक्टर / वैद्यराज से मुफ्त में अपना इलाज करवा पाएंगे।
Mera naam raj hai. Mujhe jukam bahut rehata hai. Iske alaaw mujhe asthma apach & uric acid ki bhi problem hai. Meri height 5″10imch hai. & MERA weight 112 kg.hai. ,
राजन जी सबसे पहले आपको अपना वजन कम करना चाहिए आप ओवर वेट है। आप हमारा वजन कम कैसे करे लेख पड़े।(http://gyaanlok.com/2016/09/26/how-to-lose-weight-in-hindi-vajan-kaise-kam-kare-1/) जब आप अपने वजन को कम करने के लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएंगे शारीरिक गतिविधि शुरू करेंगे तो इनमें से कुछ समस्याए धीरे धीरे कम होने लगेंगी। आपको किसी बैद्यराज से सलाह लेनी चाहिए इन रोगो के लिए आयुर्वेदा में बहुत अच्छी दवाईया है।
हमारे ब्लॉग ज्ञानलोक पर भी जल्दी ही आयुर्वेद डॉक्टर / वैद्यराज से भी मुफ्त में सलाह देना शुरू होने जा रहा है अगर आपको सही आयुर्वेद डॉक्टर / वैद्यराज नहीं मिल पाते है तो हम यहाँ से अपनी परेशानी का हल ले सकते है।
Hi sir mujko kahi saalo se acne nikalte hai kai deva ki par farak nhi pada or haat pairo me se pasina bi bahut nikal ta hai or kabj bi rahti hai aap koi deva bataiye sir please help sir
राज जी आप बिना सोचे समझे सबसे पहले त्रिफला लेना शुरू कर दीजिये। कब्ज ही आपकी ance निकलने की वजह है। कुछ लोगो की बहुत ज्यादा ऑयली स्किन होती है जिस से उनके acne बहुत निकलते है किंतु जैसे कि आपने बताया आपको कब्ज की बहुत समस्या है तो सबसे पहले इसको सही कीजिये आपका पेट स्वस्थ होगा तो आपकी बहुत सी परेशानी हल हो जायेगी। आप हमारा लेख कब्ज – रोगों की जननी (http://gyaanlok.com/2015/11/24/constipation-mother-of-all-diseases-treatment-hindi/) पढ़े और उसमें दिए नियमों का पालन करें।
हम सभी के लिए आपकी जानकारी सार्थक सिद्ध हुई है। जिसके लिए हम आपके आभारी है।
मैं विपिन ठाकुर
मुझे अंडकोष में पानी की समस्या के लिए कोई राय स्पष्ट करे।ये किस दोष की वजह से होता है।
और premature ejaculations का सार्थक इलाज एवं बचाव भी बताएं। मेरी उम्र 26 साल है।
आपकी महान कृपा होगी।
धन्यबाद
Sir pls reply dena mere papa ko lungs cancer howa hai pet scan me batata hai ke matastic stage hai or doctor ka kehna hai stage 4 hai par unko koi aisa koi problem nai hai or nahi unho ne khane ke siwai koi wiasan nahi hai par fir bhi unko lung cancer aya sirji koi upai batawo pls sir mera number 09870918966
VERY GOOD
I Read all Three dosas it is usefull in our life
Aapne trifla ka jikra kiya hai jo kafi faydemand hai, kya jo trifla market me aata hai vah sahi hota hai. Kya mai apne ath se trifla bana sakta hu
apna bana lo tu bhut acha hai
Sir mujhe bahut jyada bhook lagta hai.pls sir mein kya karu.pls bataye
prachin avurved ke bare me jankari dene ke liye dhanyavad. muje kapha ki problem hai aap ka blog padhane ke bad muje es ke bare me jankari prapt hui, yah mere liye bahut hi mahatvapurn jankari hai.
आपका लेख दैनिक जीवन में बहुत ही लाभकारी है ।यह एक बेहतरीन लेख है ।यह बहुत जानकारी पूर्ण और सहायक है। आमतौर पर, मैं कभी भी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करता हूं लेकिन आपका लेख इतना आश्वस्त करता है कि मैं खुद को इसके बारे में कहने के लिए नहीं रोक पाया । आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे बनाए रखें।
Very Nice Information. Following your Articles