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जिन्दगी भर निरोगी रहना है तो अपने साँस लेने का तरीका बदलो (If You want to live a healthy life, then change the way you breathe)

breathing

Breath Awareness

आपने बड़े बुजुर्ग या पुराने संत महात्माओ को बोलते हुए सुना होगा कि हम उतना जीते है जितना भगवान ने हमे सांसे दी (Breathing)है। मतलब सांसे गिनती की है और जितना ज्यादा समय में ये खत्म हो उतना ज्यादा आप जीयोगे।

अब ये तो वो बात हुई जो हम ने सुनी है परन्तु सुनी सुनाई बातों से ज्यादा आज हम “वैज्ञानिक यानि जो बातें विज्ञान ने प्रमाणित की है या जिनको लेकर रिसर्च की गयी हो” जैसी बातों पर विश्वास करते है। तो आज मैं आपको इसकी रिसर्च और फायदे दोनों बताऊंगा।

क्या कभी अपने सोचा होगा कि सिर्फ साँस लेने (the way you breathe) के तरीके को बदल कर आप अपनी लाइफ को हेल्थी लाइफ बना सकते है। प्रकर्ति ने हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने या बीमार होने के बाद सही होने के लिए बहुत सी व्यवस्था दी है। साँस लेना (Breathing) उनमें से एक हैं।

एक औसत इंसान सामान्य रूप से एक मिनट में 12 से 16 बार साँस लेता (respiration rates) है। शायद आपने कभी गिना ही नहीं होगा।

साँस लेने की एक बुनियादि क्रिया सभी को पता है कि जब हम साँस लेते है तो हम ऑक्सीजन (oxygen) लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालते हैं और ऑक्सीजन(O2) को प्राण वायु (Life Air) कहा जाता है। परन्तु आज जिस गति से हम लोग सॉस लेते (Breathing) है उसमें बहुत कम ऑक्सीजन हमारे शरीर में जा पाती है। और जाने अनजाने में हम बहुत से रोगो को अपने शरीर में पैदा कर लेते है।

आपने कभी गौर किया है कि जब कभी आप परेशान या तनावग्रस्त होते है या कभी आप क्रोधित या डरे हुए होते हैं तो आपको गहरी साँस लेने के लिए बोला जाता है। मैडिटेशन (meditation) में भी साँस पर फोकस करने को बोला जाता है। इन सब के पीछे वजह क्या है ? वजह है ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन का शरीर में जाना ज्यादा देर तक रुकना जिस से हमारा शरीर खुद को ठीक कर सकें।

ये ऑक्सीजन (oxygen) खून में मिलती है और खून शरीर के सभी हिस्सों में मौजूद हर कोशिका तक ऑक्सीजन पहुंचाता है, जिससे वे स्वस्थ रह पाती हैं। जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो मेडिकल की भाषा में इसको हाइपोक्सेमिया होना कहा जाता है।

अब अगर इस कमी के चलते होने वाली बीमारियों की बात करें तो बहुत बड़ी सूची बन जाएगी कुछ सामान्य बीमारियाँ है जैसे फेफड़ों संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे, लंग कैंसर, निमोनिया, अस्थमा आदि। इसके अलावा हृदय संबंधी समस्याएं जैसे ब्लड प्रेशर , स्किन से संबंधित बीमारियां, दिमाग की बीमारी, और इन सबसे ऊपर कैंसर जैसी बीमारियाँ हो जाती है।

एक बात आपको याद रखनी है कि साँस आपको हमेशा अपनी नाक से ही लेनी है मुंह से कभी नहीं लेनी

कितनी साँसे लेनी चाहिए-
रिसर्च में पाया गया कि प्रति मिनट 6 बार साँस ली (Breathing) जाए तो ये एक परफेक्ट तरीका है।

क्या फायदा है-

अब आप बोलेंगे कैसे कोई इंसान पूरा दिन इस तरह साँसे ले सकता है। अगर आप अभ्यास करें तो ले भी पाएंगे। परन्तु इसका सबसे अच्छा तरीका है जब भी आप खाली हो अपने सांस लेने के तरीके पर ध्यान देना शुरू कर दे। उस समय में आप ये प्रति मिनट 6 बार साँस लेना शुरू कर सकते है।

आशा करता हूँ मेरा ये लेख पढ़कर और इन तरीको से आप अपने साँस (breathe) लेने के तरीके को सही करेंगे और भविष्य में बीमारियों से बचे रहेंगे।

अगर आपको मेरा ये लेख – “जिन्दगी भर निरोगी रहना है तो अपने साँस लेने का तरीका बदलो (If You want to live a healthy life, then change the way you breathe)” पसंद आया हो तो अपनी प्रतिक्रिया(comments) जरूर लिखें।
Edited on: May 4,2021

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