आज हम प्रोटीन(protein) विज्ञान के बारे में जानेंगे। प्रोटीन क्या हैं और मांसपेशियों के निर्माण में इसकी क्या भूमिका हैं ?
प्रोटीन वास्तव में एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है – सबसे जरुरी । जिस प्रकार ग्लाइकोजन के निर्माण का मूल तत्व ग्लूकोस होता है ठीक वैसे ही अमीनो अम्ल (amino acid) से प्रोटीन का गठन होता है । रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। प्रोटीन से शरीर की मासपेशियों का निर्माण होता है ।
प्रोटीन का मूल कार्य यह है कि वो शरीर को उपचय (anabolic) यानी मासपेशियों के निर्माण होने की स्थिति में रखने के लिए उसे अमीनो अम्ल प्रदान करता है । प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। प्रोटीन शरीर को ईधन (ऊर्जा) भी देता है यह ईधन के रूप में तब काम आता है जब आपके आहार में कार्बोहाड्रेट की मात्रा कम हो और आप अपना व्यायाम रूटीन कर रहे हो । एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ (4.1) कैलीरी (ऊष्मा) प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे. जे. मूल्डर ने १८४० में प्रोटीन का नामकरण किया। प्रोटीन बनाने में २० अमीनो अम्ल भाग लेते हैं। पौधे ये सभी अमीनो अम्ल अपने विभिन्न भागों में तैयार कर सकते हैं। जंतुओं की कुछ कोशिकाएँ इनमें से कुछ अमीनो अम्ल तैयार कर सकती है, लेकिन जिनको यह शरीर कोशिकाओं में संश्लेषण नहीं कर पाते उन्हें जंतु अपने भोजन से प्राप्त कर लेते हैं। इस अमीनो अम्ल को अनिवार्य या आवश्यक अमीनो अम्ल कहते हैं। मनुष्य के अनिवार्य अमीनो अम्ल लिउसीन, आइसोलिउसीन, वेलीन, लाइसीन, ट्रिप्टोफेन, फेनिलएलानीन, मेथिओनीन एवं थ्रेओनीन हैं।
प्रोटीन का एक हिस्सा नाइट्रोजन भी होता है । वास्तव में प्रोटीन का 16% हिस्सा नाइट्रोजन ही होता है । तो जब आप प्रोटीन का सेवन करते है तो आप नाइट्रोजन भी शरीर में ले रहे होते है । अगर आप शरीर में मसल मास बढ़ाना चाहते है आपको अपने शरीर को नेगेटिव नाइट्रोजन बैलेंस में नहीं आने देना चाहिए । जब आप शरीर द्वारा नष्ट किए जाने वाले प्रोटीन से कम प्रोटीन खाते है तो आपका शरीर नेगेटिव नाइट्रोजन की स्थिति में होता है और जब आप शरीर द्वारा नष्ट किए जाने वाले प्रोटीन से अधिक प्रोटीन खाते है तो आपका शरीर पॉजिटिव नाइट्रोजन की स्थिति में होता है।
मसल बनाने या बॉडीबिल्डिंग के लिए कितना प्रोटीन खाना चाहिए ?
यह एक बहुत वाद विवाद का विषय है। कुछ वैज्ञानिक और डाक्टरों का मानना है कि ज्यादा प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक होता है लेकिन आज तक किसी भी खोज में ये नहीं पाया गया कि रोजाना के जरुरत से दो या तीन गुणा खाने से व्यायाम करने वाले यवकों पर किसी प्रकार का बुरा असर हुआ हो । वेट ट्रेनिंग (weight training) करने वाले यवकों को प्रतिदिन अपने प्रति पॉउण्ड शारीरिक वजन के लिए 1 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए । (RDA) के अनुसार सामान्य रूप से स्त्री और पुरष को 0.80 ग्राम प्रोटीन अपने प्रति किलो शारीरिक वजन के लिए लेना चाहिए और ये मात्रा नाइट्रोजन संतुलन अध्ययन के विश्लेषण पर आधारित है । यह मात्रा किसी भी खिलाडी या बॉडी बिल्डर के लिए बहुत कम होती है क्योंकि व्यायाम करने वाले यवकों में मसल प्रोटीन शरीर में नष्ट होता है मगर व्यायाम के उपरान्त करीब 24 घंटो तक मसल प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है । अगर आप इस समय मात्रा में प्रोटीन नहीं खायेंगे तो मसल बनाने में पीछे रह जायेंगे । आधुनिक खोज के अनुसार बॉडी बिल्डरों को शारीरिक मास बढ़ाते समय प्रति किलो शारीरिक वजन के लिए 1.5 से 2.2 पॉउण्ड प्रोटीन का सेवन करना चाहये ।
एक बात का ख़ास ध्यान रखें आपको ज्यादा प्रोटीन के आहार के साथ ज्यादा पानी पीना चाहिए । वैसे भी बॉडी बिल्डरों को मसल बनाने के लिये ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आदत डालनी चाहिए खासकर जब वो किसी सप्प्लिमेंट(suppliment) का सेवन कर रहे हो ।
किस प्रकार का प्रोटीन खाना चाहिए ?
जो भी प्रोटीन अहारा आप खाते हैं उसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होने चाहिए । इन अमीनो एसिड को एसेंशियल अमीनो एसिड कहते है। इसका होना इसलिए जरुरी है क्योंकि हमारा शरीर इनका निर्माण नहीं कर सकता और इन्हे आहार के जरिए ही लेना पड़ता है । वैज्ञानिक प्रोटीन की गुणवन्ता मापने के लिए उसके बायोलॉजिकल माप का प्रयोग करते है । यह वह अंक होता है जिस से यह पता चलता है कि खाये गए प्रोटीन से कितना प्रोटीन शरीर ने स्वीकार किया है और ये इस बात पर निर्भर है के उसमें अमीनो एसिड कितने है जिसमें सभी अमीनो एसिड होते है उसका बायोलॉजिकल माप 100 होता है वो शरीर द्वारा आसानी से स्वीकार किया जाता है ।
व्हे प्रोटीन को उत्तम दर्जे का प्रोटीन माना जाता है । व्हे प्रोटीन से पहले सबसे ज्यादा बायोलॉजिकल माप अन्डे में माना जाता था । इसी से बाकी प्रोटीन आहारो की तुलना होती थी । व्हे प्रोटीन की बायोलॉजिकल वैल्यू 159 होती है जो अन्डो से ज्यादा होती है । व्हे प्रोटीन से न केवल आप के मसल बनेंगे बल्कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी शाक्तिशाली हो जाती है।
प्रोटीन लेने का सही समय क्या है ?
मांसपेसियों के विकास के बारे में अभी विज्ञान को पूरी जानकारी तो नहीं हुई है, मगर हम इतना अवश्य जानते हैं कि मांसपेसियों के विकास के लिए शरीर को उपचय (anabolic) स्थिति में रखना आवश्यक होता है । उपचय (anabolic) स्थिति वह होती है जब शरीर में मासपेशियों का निर्माण होता है जबकि कटाबोलिक स्थिति में शरीर मसल नष्ट करता है । यही कारण है के बॉडी बिल्डर हमेशा कहते रहते है इससे वो अपने शरीर को उपचय (anabolic) स्थिति में रखने में कामयाब होते है । वैज्ञानिको के अनुसार वेट ट्रेनिंग करने वाले यवको में व्यायाम के 1-2 घंटो के अंदर ही मसल प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है । यही प्रोटीन लेने का सही वक्त है । एक और जरुरी बात यह है कि मांसपेसियों का विकास रात को सोते हुए बढ़ता है ।
एक समय में कितना प्रोटीन लेना चाहिए? इस विषय में अलग अलग बॉडी बिल्डर्स की अलग अलग विचार है किन्तु 25-35 ग्राम प्रोटीन एक बार में लेना काफी हैं। वेट ट्रेनिंग से पहले और वेट ट्रेनिंग के बाद प्रोटीन लेने का सही वक्त माना जाता है रात को सोने से पहले भी प्रोटीन लेना चाहिए।
और सुबह का सबसे पहले खाना भी प्रोटीन से भरपूर होना चाहिए अगर एक्सपर्ट्स की माने तो हर 4 घंटे में प्रोटीन का सेवन करना चाहिए ।
सोया प्रोटीन
बहुत से बॉडी बिल्डर्स ये मानते है कि शाकाहारी भोजन से मिलने वाला प्रोटीन मासाहारी भोजन से मिलने वाले प्रोटीन की तुलना में कम अच्छा होता है । लेकिन अगर हम सोया प्रोटीन की बात करे तो ये तर्क सही नहीं है । शाकाहारी भोजन में सोया प्रोटीन सबसे उत्तम श्रेणी का माना जाता है । सोया प्रोटीन में वो फायदे देखे गए है जो मांसाहारी प्रोटीन में नहीं पाये जाते। सोया प्रोटीन में कैंसर से बचने वाले तत्व मिलते है । अर्थात सोया प्रोटीन से न केवल मांसपेशियों का विकास होता है बल्कि शरीर की बीमारियो से लड़ने की शक्त्ति भी बढ़ जाती हैं ।
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