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फिटनेस दुनिया की 21 अफवाहें जिन पर आपको विश्वास करना बंद कर देना चाहिए (21 Common Fitness Myths You Should Stop Believing)

Fitness Myths

21 Common Fitness Myths You Should Stop Believing

क्या लगातार अपने शरीर में विकास करना संभव है? (Fitness Myths)

क्या ज्यादा पसीना निकलने से मोटापा जल्दी कम होता है?

क्या लगातार आकार, शक्ति या माँसपेशियों के रूप को बेहतर बनाना संभव है?

क्या महिलाओं को वजन से व्यायाम नहीं करना चाहिए?(Fitness Myths)

ऐसे जाने कितने ही सवाल और अफवाहें है (Fitness Myths) जो फिटनेस की दुनिया में बहुत से नए आने वाले और बहुत से पुराने लोगों को भी परेशान करती है। फिटनेस या बॉडी बिल्डिंग केवल एक खेल नहीं है बल्कि कई सालों के रिसर्च और खोज के बाद आज यह एक बहुत बड़ा विज्ञान बन गया है। इसके बावजूद बॉडी बिल्डिंग आरम्भ करने वाले ज़्यादातर युवक ज्ञान की कमी के कारण अफवाहों को सत्य मान लेते हैं और शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।

ज्यादातर युवक जो काफी समय व्यायाम करने के बाद भी लाभ ना पाने की शिकायत करते हैं वह इन अफवाहों (Fitness Myths) के चक्रव्यूह में ही फंसे होते हैं। मेरा हमेशा ये प्रयास रहा है कि मैं अपने पाठकों को अपने लेखों के जरिये सही जानकारी दूँ जिससे नवयुवक सही राह में आगे बढ़ सकें। ऊपर लिखें कुछ सवालों और अफवाहों में से कुछ के मैंने अलग से लेख भी लिखें है आप इस ब्लॉग पर उन्हें पढ़ कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है।

जो युवक अफवाह (Fitness Myths) और सत्य में भेद करने की क्षमता रखता है वही अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सफल होगा। तो इन अफवाहों पर समय नष्ट करना छोड़ दें और अक्षय ज्ञान की ओर कदम बढाएं। इस ज्ञान के समुन्दर में एक बार आप खो जाएंगे फिर आप कभी विकास की राह में पीछे नहीं छूटेंगे ।

1. सिक्स-पैक दिखने का मतलब है कि आप पूरी तरह से फिट और स्वस्थ हैं।
एब्स, एब्स और एब्स। मुझे ये समझ नहीं आता आजकल के युवा एब्स (सिक्स-पैक) के पीछे इतने पागल क्यों है। सिक्स-पैक होने का मतलब यह नहीं है कि आप स्वस्थ हैं या आप ही सबसे ज्यादा फिट है। इसका मतलब है कि आपके शरीर में वसा का प्रतिशत इतना कम है कि आपके पेट की मांसपेशियां दिखाई दे रही हैं। पुराने समय में हमारे देश में एक से बढ़कर एक ताकतवर पूरी तरह से फिट फुर्तीले पहलवान और खिलाडी हुए है परन्तु उन सब के सिक्स-पैक थे ऐसा कुछ नहीं है। सिक्स-पैक एब्स न ही अच्छे स्वस्थ की निशानी है और न ही टिकाऊ है। इनकी चाहत में नौजवान अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को खाना छोड़ देते है कैलोरी की कमी में रहते है घंटे पेट के व्यायाम करते रहते है। ये एक तरह की अफवाह (Fitness Myths) है और इसको अपने दिमाग से निकल दें।

2. उम्र बढ़ने के साथ या जब आप वज़न से व्यायाम करना छोड़ देते हैं तब आपका मसल मास फैट में परिवर्तित होने लगता है।
आपकी उम्र ज्यादा हो या फिर कम यदि आप अपने माँसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में व्यायाम नहीं प्रदान करेंगे तो बहुत शीघ्र आपके माँसपेशियों के आकार और शक्ति का स्तर कम होने लगेगा। इसका मुख्य कारण यह है कि आपका शरीर एनर्जी निर्माण के लिए मसल प्रोटीन को इस्तेमाल करने लगता है। माँसपेशियों के आकार को बढ़ाने के लिए या फिर बरकरार रखने के लिए वज़न से व्यायाम करना ज़रूरी है। जब आप माँसपेशियों के शक्ति और आकार को बढ़ाने के लिए वजन से व्यायाम करते हैं तब आप आहार में ज़्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं। जब आप व्यायाम करना छोड़ देते हैं तब अपने आहार में कैलोरी को कम करना भी ज़रूरी होता है। यदि व्यायाम त्यागने के उपरान्त भी आप पहले जितने कैलोरी का सेवन करेंगे तो आपके शरीर में फैट का स्तर बढ़ने लगेगा। मगर एक बात हमेशा याद रखें कि मसल मास कभी भी फैट में परिवर्तित नहीं हो सकता है। आपके शरीर में फैट ज्यादा आहार या कम व्यायाम के कारण बढ़ता है। यदि आप शारीरिक जरूरतों से ज्यादा कैलोरी का सेवन करेंगे तो आपके शरीर में फैट अवश्य बढ़ेगा और आप मोटे हो जाएंगे।

3. महिलाओं को केवल एरोबिक व्यायाम करना चाहिए।
कई सालों से वैज्ञानिक महिलाओं के लिए वजन से व्यायाम करने को उपयोगी बताते आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि यदि महिलाएं वज़न से व्यायाम करती हैं तो वह ज्यादा स्वस्थ और चुस्त महसूस करती हैं और उनके शरीर का रूप भी बेहतर बन जाता है। इन अफवाहों (Fitness Myths) से बच कर और वज़न से व्यायाम और एरोबिक व्यायाम (Aerobic Exercise)का सही योग से अपने स्वास्थ्य एवं शरीर को बेहतर बनाये।

4. अगर महिलाएं वजन से व्यायाम करती हैं तो वे मर्दों के समान दिखने लगती हैं।
आजकल विदेशों के साथ साथ अपने देश में भी बहुत ज्यादा महिलाएं बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में भाग लेने लगी हैं। उनका शरीर भी पुरुष बॉडी बिल्डरों के समान शक्तिशाली और मस्क्युलर नज़र आता है। हमें यह समझना चाहिए है कि इन महिलाओं का शरीर सामान्य महिलाओं के समान नहीं होता। सभी महिलाओं की अनुवांशिक रचना इतनी बेहतरीन नहीं होती है कि वो इन बॉडी बिल्डरों के समान आकार और मस्क्युलैरिटी का निर्माण कर सकें। महिला बॉडी बिल्डरों के शरीर में प्राकृतिक रूप से मर्दों का सेक्स हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) काफी ज्यादा होता है जो सामान्य महिलाओं में न के बराबर होता है। इसलिए सभी महिलाएं मर्दों के समान शारीरिक विकास उत्तेजित करने में सफल नहीं होती हैं। सामान्य महिलाएं वजन से व्यायाम करके स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकती हैं। वज़न से व्यायाम करके महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis)और स्पॉन्डिलाइटिस (Spondylitis) जैसी बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकती हैं। वज़न से व्यायाम करके युवतियाँ बेहतर फिगर का निर्माण कर सकेंगी तथा शरीर में फैट के स्तर को भी घटाने में सफलता हासिल करेंगी।

5. ज्यादा पसीना आने से मोटापा जल्दी कम होता है
ये तो मेरा सबसे ज्यादा पसंदीदा मिथक (Fitness Myths) है जो पता नहीं कैसे सभी नौजवानो के दिमाग में भरा हुआ है। मैं बहुत से लड़को को देखता हूँ जो जिम जाते है तो काफी मोटे कपडे पहने हुए ऐसे कपडे जिनमें उन्हें ज्यादा पसीना आये। अगर उनके जिम में AC है तो वो उसको उच्च तापमान पर कर देते है और अगर पंखे है तो उसको बंद कर देते है जिससे व्यायम करते हुए उन्हें ज्यादा पसीना(sweating) आये। उनको लगता है ज्यादा पसीना आने (excessive sweating) से उनका फैट कम होगा और उनकी मसल्स यानि मांसपेशियों में ज्यादा डेफिनेशन आएगी। जब आप व्यायाम करते है जिम में वर्कआउट करते है जॉगिंग करते है या कोई भी शारीरिक श्रम करते है तो आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है तो शरीर में पसीना आता है जिसे उसका सामान्य तापमान बना रहें। आपको ज्यादा पसीना आता है इसका मतलब है आपने ज्यादा मेहनत की है अच्छा वर्कआउट किया है पर ये आपके फैट को आपके वजन को कम कर रहा है ये आप अपने दिमाग से निकल दे।

6. पुलओवर से आपके रिब केज का आकार बढ़ जाता है।
कई दशक पहले पुल ओवर बॉडी बिल्डरों का मनपसंद व्यायाम माना जाता था । उस समय ज्यादा जिम नहीं हुआ करते थे । जिमों में आज के समान भिन्न प्रकार के उपकरण भी नहीं पाए जाते थे । इसलिए सभी युवक इस व्यायाम को अपने चेस्ट (छाती) रूटीन में अवश्य शामिल करते थे। कई युवक तो यह भी मानते थे कि इससे उनके छाती के हड्डियों का ढाँचा आकार में बढ़ जाता है, मगर यह केवल एक अफवाह है। आप पुल ओवर को लैट्स (बैक) के वार्म अप के लिए प्रयोग कर सकते हैं मगर यह व्यायाम अपने आप में आपके शरीर को कोई लाभ नहीं पहुँचा सकता है। इससे आपके कंधों के जोड़ पर भी अनचाहा ज़ोर पड़ता है और ज़्यादा भारी वज़न या गलत व्यायाम तकनीक इन्जरी की संभावना को कई गुणा बढ़ा देता है। यदि आप छाती के माँसपेशियों के आकार और शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो बेंच प्रेस करें। यदि आप बेमिसाल लैट्स (बैंक) पाना चाहते हैं तो पुल अप, पुल डाऊन आदि करें। पुल ओवर को इस उद्देश्य से करना व्यर्थ है। इसे केवल एक वार्मअप व्यायाम की तरह अपने रूटीन में शामिल करें।

7. एब्डॉमिनल व्यायामों को करने से आपके पेट से फैट घटने लगता है।
फिटनेस की दुनिया में इस अफवाह को हम स्पॉट रिडक्शन (Spot Reduction) के नाम से जानते हैं। इसके अनुसार यदि आप शरीर के किसी हिस्से के व्यायाम को करते हैं तो आप इस हिस्से के आसपास फैट घटाने में कामयाबी हासिल करेंगे। यह सही है कि व्यायाम करते समय शरीर से फैट घटने लगता है मगर फैट शरीर में हर जगह से एक साथ कम होता है। इसलिए ज़रूरत से ज्यादा एब्डॉमिनल व्यायाम करके फैट घटाने की उम्मीद ना करें। फैट घटाने के लिए आपको अपने व्यायाम रूटीन में वज़न से व्यायाम और एरोबिक व्यायाम दोनों को शामिल करना होगा। साथ ही आपको मनपसंद आहार पर भी नियंत्रण रखना होगा। रोजाना की जरूरतों से कम कैलोरी का सेवन करना होगा। केवल इससे आप फैट घटा सकेंगे। केवल एक जगह से फैट घटाना असंभव है।

8. फ्री वजन व्यायामों से आपके माँसपेशियों का आकार बढ़ता है जबकि मशीन व्यायामों से आपके माँसपेशियों का रूप और डेफेनिशन बढ़ता है।
फ्री वजन का अर्थ है वह व्यायाम जिनमें आप बारबल और डम्बल का प्रयोग करते हैं। यदि सही तरीके से किया जाए तो आप फ्री वज़न व्यायाम और मशीन व्यायाम दोनों से आश्चर्यजनक आकार (साइज़) का निर्माण करने में सफलता हासिल कर सकते है। माँसपेशियों के डेफेनिशन को बढ़ाने के लिए शरीर से फैट घटाना जरूरी है। फैट घटाने के लिए आहार पर नियंत्रण रखना और एरोबिक व्यायाम करना जरूरी है। हर मशीन को प्रयोग करने का सही तकनीक सीखें। लक्ष्य के अनुसार अलग-अलग मशीन और फ्री वज़न व्यायामों को अपने रूटीन में शामिल करें। हर व्यायाम का अपना महत्व होता है। सही व्यायाम योग से आप शारीरिक विकास की चरम सीमा तक पहुँच सकते हैं।

9. काव्स, फोरआर्म और एब्स के व्यायामों को रोज़ करना चाहिए।
आप चाहें तो प्रतिदिन हर माँसपेशी के व्यायामों को कर सकते हैं, मगर आप इस प्रकार ज्यादा दिन व्यायाम नहीं कर सकेंगे। यह सही है कि फोरआर्म, काव्न्स और एब्स स्लो ट्विच माँसपेशी होते हैं और वो अन्य विशाल मसल ग्रूप की तरह शीघ्र थकान का अनुभव नहीं करते हैं। चेस्ट, क्वाड्रिसेप और बैक के माँसपेशी व्यायाम रूटीन के उपरान्त थकान का अनुभव करते हैं और पर्याप्त मात्रा में आराम मिलने के उपरान्त ही अगले रूटीन में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाते हैं । यदि आप आकार के विकास के उद्देश्य से व्यायाम करते हैं तो आपको किसी भी माँसपेशी के व्यायाम को रोज़ नहीं करना चाहिए। विशाल माँसपेशियों को हफ्ते में केवल एक बार ट्रेनिंग प्रदान करें । काव्स, एब्डॉमिनल और फोरआर्म जैसे स्लो ट्विच माँसपेशियों को आप हफ्ते में दो या तीन बार भी ट्रेनिंग प्रदान कर सकते हैं। इससे ज़्यादा व्यायाम आपको ओवरट्रेनिंग की अवस्था में पहुँचा सकता है। हर माँसपेशी को पर्याप्त मात्रा में आराम प्रदान करना ज़रूरी है जिससे कि उनके आकार और रूप का विकास हो सके।

10. ज्यादा और जल्दी असर पाने के लिए आपको पुश व्यायाम, पुल व्यायाम और टाँगों के व्यायाम को अलग-अलग दिनों पर करना चाहिए।
आपने कई बॉडी बिल्डरों को कहते सुना होगा कि वो ट्राइसेप्स के व्यायामों को चेस्ट रूटीन के बाद करना पसंद करते हैं क्योंकि चेस्ट व्यायाम के दौरान ट्राइसेप्स माँसपेशी भी इस्तेमाल होते हैं। यह बात सुनने में सही लगती है मगर क्या यह सही है? यदि आप चेस्ट के व्यायामों के बाद ट्राइसेप्स व्यायामों को करते हैं तो दो बातें हो सकती हैं। यदि आप हर बार अपने चेस्ट माँसपेशी के व्यायामों के बाद ट्राइसेप्स व्यायामों को करेंगे तो या तो आपके चेस्ट के माँसपेशी ओवरट्रेनिंग की अवस्था में पहुँच जाएंगे या फिर आप ट्राइसेप्स माँसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ट्रेनिंग नहीं प्रदान कर सकेंगे क्योंकि चेस्ट के व्यायाम से आपका शरीर काफी थक जाता है। हर माँसपेशी की रचना और शक्ति के अनुसार उसके ट्रेनिंग रूटीन का निर्माण करें। रूटीन में शारीरिक कमियों के अनुसार बदलाव को शामिल करें। सही बदलाव और एक जोरदार व्यायाम रूटीन एक सफल बॉडी बिल्डर की पहचान होती है। व्यायामों के क्रम को बदलें और अलग-अलग असर को महसूस करना सीखें।

11. कम रैप से आकार का विकास होता है और ज्यादा रैप के प्रयोग से मसल कटिंग का विकास होता है।
मैं पहले भी बता चूका हूँ कि माँसपेशियों के डेफेनिशन और रूप को बेहतरीन बनाने के लिए आपको अपने आहार पर ज्यादा ध्यान देना होगा। बेहतरीन आकार के लिए आपको कम रैप और ज़्यादा रैप दोनों व्यायाम शैली का पालन करना होगा। आपको भारी वजन और हल्के वजन दोनों से व्यायाम करना होगा। यह सही है कि आकार बढ़ाने के लिए भारी वज़न से व्यायाम करना जरूरी है, मगर सम्पूर्ण शारीरिक विकास के लिए आपको रूटीन में अलग-अलग ट्रेनिंग शैलियों को शामिल करना चाहिए। केवल एक तरह व्यायाम करके आप मनचाहा शारीरिक विकास उत्तेजित नहीं कर सकेंगे। हर माँसपेशी के लिए शुरुवात में एक कम्पाऊन्ड मल्टिजॉएंट व्यायाम करें। इस व्यायाम मे भारी व्रज़न से 6-8 रैप करें इसके बाद एक या दो आइसोलेशन व्यायाम करें इनमें हल्के वजन से 10-12 रैप करें। इस प्रकार आप माँसपेशी पर दोनों व्यायाम शैलियों का लाभ केन्द्रित कर सकेंगे।

12. सप्लीमेंट्स के बिना आप अच्छा शरीर नहीं बना सकतें है।
आजकल ज्यादातर जिम में ये प्रचालन है कि ट्रेनर या जिम चलाने वाले से जैसे ही कोई नया लड़का ये बोलता है कि बॉडी में व्यायाम करने से असर नहीं आ रहा तो वो सीधा उसको बोलते है कि आपको सप्लीमेंट्स लेने होंगे उसके बिना आपको कभी भी शरीर में बदलाव नजर नहीं आएंगे। जैसे कि जल्दी मांसपेशियों का निर्माण करना चाहते हैं तो ये वाला प्रोटीन पाउडर लें। मोटापा कम करना चाहते हैं? यह ये वाला फैट बर्नर लें। वजन बढ़ाना चाहते हैं? यह मास गेनर लें।
आप एक बात ध्यान से समझ लें जो मैं आपको बता रहा हूँ उसके पीछे साइंस है और साइंस ये बोलती है कि आपका आहार, कसरत और नींद आपके परिणामों का 99% हिस्सा है और सप्लीमेंट्स केवल आपको 1% मदद कर सकते हैं। जब आप अपने शुरुआती चरण में हों तब तो आपको बिलकुल ही सप्लीमेंट्स की जरुरत नहीं है कुछ साल बाद आप थोड़ी सी मदद के लिए सप्लीमेंट्स लें सकते है और सप्लीमेंट्स में भी मेरी राय में केवल दो या तीन ही लेने लायक है – क्रिएटिन, व्हे प्रोटीन और मल्टीविटामिन या मल्टी-मिनरल। इसके अलावा कुछ और भी सप्लीमेंट्स है परन्तु वो सिर्फ उनके लिए है जो बॉडी बिल्डिंग को खेल के रूप (Professional Bodybuilders )में खेलते है।

13. स्क्वॉट से आपके हिप्स और बटक का आकार बढ़ जाएगा।
आपके शरीर की अनुवांशिक रचना आपके हिप्स और बटक्स के आकार को निर्धारित करती है। किसी व्यायाम को करने से आपके हिप्स का आकर नहीं बढ़ सकता है। ज्यादा स्क्वॉट (Squat) करने से आपके शरीर में ग्रोथ हॉर्मोन का निर्माण बढ़ता है, आपके टाँगों का रूप और आकार बढ़ता है मगर हिप्स का आकार कभी नहीं बढ़ सकता है। इसलिए इस अफवाह का विश्वास करके इस बेहतरीन व्यायाम को अपने रूटीन से दूर ना करें। यह सही है कि इस संसार के सबसे भारी स्क्वॉट करने वाले युवकों के हिप का आकार ज़्यादा है और यही कारण है कि वह भारी स्क्वॉट (Squat) कर पाते हैं।

14. स्क्वॉट करते समय पूरा नीचे बैठने पर आप घुटनों को क्षति पहुँचाते हैं।
यदि सही तकनीक से किया जाए तो स्क्वॉट व्यायाम से आपके घुटनों का स्वास्थ्य बेहतर बन जाता है। स्क्वॉट व्यायाम करते समय कुछ युवक नीचे के पोजिशन पर बाउन्स करते हैं और झटके से ऊपर उठते हैं। इससे उनके घुटनों के लीगमेन्ट और टेन्डन पर बुरा असर पड़ता है और वो बहुत शीघ्र क्षति से पीड़ित हो जाते हैं। यदि आप स्क्वॉट में बहुत कम नीचे बैठते हैं तो आपके घुटने पर ज़्यादा ज़ोर पड़ता है। इसलिए स्क्वॉट व्यायाम के सही तकनीक को सीखने का उपदेश दिया जाता है । शुरुवाती स्तर के युवकों को हल्के वजन से इस व्यायाम मूवमेन्ट की आदत डालनी चाहिए। मूवमेन्ट को धीमी गति से करें और पीठ के प्राकृतिक मोड़ को बरकरार रखें।

15. वजन से व्यायाम करने से आपके शरीर का फैट मांसपेशियों में बदल जाता है।
आपने से अक्सर सुना होगा कि वजन उठाने से आपकी सारी अतिरिक्त वसा मांसपेशियों में बदल सकती है। इसके चलते बहुत से लोग ज्यादा खा कर अपने शरीर में फैट बढ़ा लेते है और फिर सोचते है कि इसको कि अब वजन से व्यायाम करके इसको मांसपेशियों में बदल लेंगे। आपको सबसे पहले ये समझना होगा कि वसा यानि फैट और मांसपेशी हमारे शरीर के दो अलग-अलग ऊतक है। जब आपका शरीर कैलोरी की कमी में होता है तो आपका शरीर आपके फैट को जलता हैं। इसका मतलब है कि आप खाने से ज्यादा कैलोरी बर्न करते हैं। जब ऐसा होता है, तो आपके शरीर को कहीं से ऊर्जा प्राप्त करनी होती है, और यही ऊर्जा उसको फैट को जलाकर मिलती है।

16. डेडलिफ्ट, गुडमॉर्निंग और बारबल रोइन्ग व्यायाम आपके बैक को नुकसान पहुँचाते हैं।
वजन से व्यायाम की दुनिया में किसी भी व्यायाम को बुरा या नुकसानदायक प्रमाणित नहीं किया गया है। यदि आप सही तकनीक का पालन करते हैं और वार्म अप का पूरा ध्यान रखते हैं तो आपको हर व्यायाम से केवल लाभ होगा। गलत व्यायाम तकनीक या शारीरिक क्षमता से अधिक भारी वज़न के प्रयोग से क्षति की संभावना कई गुणा बढ़ जाती हैं। हर बैक के व्यायाम को करते समय पीठ के प्राकृतिक मोड़ को बनाए रखना जरूरी होता है। इस पोज़िशन में आपका शरीर सबसे शक्तिशाली अवस्था में होता है। यदि आप पीठ को गोल आकार में रखते हैं तो आप पीठ और अन्य माँसपेशियों में क्षति की संभावना को कई गुणा बढ़ा देते हैं। व्यायाम को करते समय हर दम सही पोज़िशन पर ध्यान दें । कंधों को पीछे की ओर कस कर रखें और छाती को आगे की ओर फुलाएं। इससे आप पीठ की प्राकृतिक मोड़ को सही रख सकेंगे। अपने कोच को व्यायाम करते समय साथ रखें और और उससे सही तकनीक सीखें।

17. एब्डॉमिनल क्रंच व्यायाम करते समय पेट को अन्दर खींचे, नहीं तो आपका पेट बाहर की ओर निकलने लगेगा।
जब आप एब्डॉमिनल व्यायाम करते हैं तब आपके एब्डॉमिनल माँसपेशियों का विकास होता है। शक्तिशाली एब्डॉमिनल से आपका पेट पतला दिखता है और सख्त महसूस होता है। ज्यादा स्थिरता के लिए कई युवक साँस अन्दर खींचकर क्रंच व्यायाम को आरम्भ करते हैं और क्रंच के दौरान साँस को रोककर रखते हैं। इस व्यायाम को करने का एक और बेहतर तरीका है। अपने एब्डॉमिनल माँसपेशी को पहले स्ट्रेच करें और फिर क्रंच व्यायाम को आरम्भ करें। इससे क्रंच व्यायाम में मूवमेन्ट की मात्रा बढ़ जाती है। इससे आप एब्डॉमिनल माँसपेशियों को ज्यादा देर तक कॉन्ट्रक्शन की अवस्था में रख सकेंगे। पूरे मूवमेन्ट के दौरान एब्डॉमिनल माँसपेशियों को कसकर रखें। इससे आप ज्यादा जोरदार विकास उत्तेजित कर सकेंगे।

18. वजन उठाते समय साँस बाहर छोड़ें और वज़न नीचे लाते समय साँस अन्दर खींचे।
यदि आप व्यायाम करते समय शरीर को स्थिरता प्रदान करना चाहते हैं तो आपको रैप के दौरान साँस को रोककर रखना होगा। इससे आपके शरीर में इन्टर थोरेसिक प्रेशर (Inter-thoracic pressure) बढ़ जाता है। इस प्रेशर से आप पूरे ऊपरी शरीर में स्थिरता और ज़्यादा शक्ति महसूस करेंगे। आप ज़्यादा आसानी से हर सेट और रैप को कर सकेंगे। वज़न ऊपर उठाने के मूवमेन्ट के तीन चौथाई हिस्से को पूरा करने के बाद साँस छोड़ना आरम्भ करें और वजन पूरा उठाने के बाद ही साँस पूरी तरह से छोड़ें। व्यायाम के दौरान यही साँस लेने का सही तरीका है। हर व्यायाम को करते समय इस नियम का पालन करें। कई युवक ज़रूरत से ज्यादा देर साँस रोकने का प्रयास करते हैं और कई बार पूरे सेट के बाद ही साँस छोड़ते हैं। इससे ज्यादा प्रेशर के कारण बेहोश होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हर व्यायाम में सही तरीके से साँस लेना सीखें और उसे अपनाएं।

19. फैट घटाने का सबसे असरदार तरीका है एरोबिक व्यायाम।
यह सही है कि एरोबिक व्यायाम से आप शरीर से फैट घटा सकते हैं, मगर यदि आप सोचते हैं कि केवल एरोबिक व्यायाम से आप स्वस्थ तरीके से फैट घटा सकेगें, तो आप गलत हैं। स्वस्थ तरीके से फैट घटाने के लिए आपको तीन बातों का ध्यान रखना होगा
1. वजन से व्यायाम
2. एरोबिक व्यायाम
3. आहार
इन तीनों के सही योग से आप एक आकर्षक फैट रिक्त शरीर का निर्माण करने में सफलता हासिल करेंगे। इसलिए जब आप फैट घटाने के बारे में सोचते हैं तब सम्पूर्ण व्यायाम रूटीन का निर्माण करें और सही तरीके से उसका पालन करें।

20. जोरदार ट्रेनिंग तकनीक जिसमें आप केवल एक सेट मे थकान तक रैप को जारी रखते हैं, एक असरदार व्यायाम शैली है।
बिलकुल नहीं! यह व्यायाम तकनीक ना केवल सामान्य युवकों के लिए खतरनाक है बल्कि प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर भी इससे अपने आप को नुकसान पहुँचा सकते हैं। आपको हर अगले रूटीन में शरीर पर ज्यादा जोर केन्द्रित करना होगा। इस प्रकार आप शरीर को विकास की राह में आगे बढ़ा सकेंगे। किसी भी तकनीक का प्रयोग ज्यादा समय तक ना करें । बदलाव से आप ज़्यादा लाभ पाएंगे क्योंकि आप अपने माँसपेशियों को उस तकनीक की आदत डालने का अवसर नहीं देते हैं।

21. आपको हमेशा व्यायाम रूटीन से पहले स्ट्रेच करना चाहिए।
आज कल जिम में कई युवक व्यायाम से पहले हर प्रकार का स्ट्रेचिंग मूवमेन्ट करते हैं। उनके अनुसार इससे वह अपने शरीर के लचीलेपन को बढाने में कामयाबी हासिल करेंगे। यदि आप इन्जरी से सुरक्षा पाने के लिए व्यायाम से पहले स्ट्रेचिंग करते हैं तो आप व्यर्थ ही समय नष्ट कर रहे हैं। इस बात का कोई प्रमाण नहीं हैं कि स्ट्रेचिंग से व्यायाम रूटीन के दौरान आप बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। एक रिसर्च क अनुसार व्यायाम से पहले ज़्यादा स्ट्रेचिंग करने से आपके शक्ति का स्तर कम होने लगता है और आप कमजोर महसूस करेंगे। इससे बेहतर है कि आप रूटीन से पहले 5 से 10 मिनट के लिए एरोबिक व्यायाम करें जिससे पूरे शरीर में रक्त का बहाव बढ़ जाए। इसके बाद जिस व्यायाम को आप करने वाले हैं उसे हल्के वज़न से वार्म अप के लिए करें। इससे आपके जोड़, माँसपेशी, लीगमेन्ट और टेन्डन भारी वजन से व्यायाम के लिए तैयार हो जाएंगे। इससे आप हर व्यायाम का पूरा मूवमेन्ट करने में भी सफलता हासिल करेंगे। यही व्यायाम का सही तरीका है। आपको व्यायाम रूटीन के उपरान्त अपने स्ट्रेचिंग करना चाहिए। इस समय आपके माँसपेशी पूरी तरह से वार्म अप की अवस्था में होते हैं और इन्जरी का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।

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