क्या महिलाओं को वजन से व्यायाम करना सुरक्षित है ? | Weight training for women is safe or not?
Myths about female weight training
क्या वजन से व्यायाम करने से महिलाये मर्दों जैसी दिखने लगती है? | Weight training for women
Will lifting weights make a woman bulky?
आज देश भर में महिलाये बेहतर फिटनेस के लिए जिम जाने लग गयी है अब महिलाये पहले की तरह एरोबिक्स नहीं करती बल्कि वजन से व्यायाम करती है वे वजन से व्यायाम के महत्व को समझने लगी है रिसर्च के अनुसार इस से उनका स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है। किन्तु अभी भी बहुत सी महिलाएं बहुत सी युवा लड़कियां वजन से व्यायाम (weight training for women) करने से कतराती है उनको लगता है कि वजन से व्यायाम करने से उनके शरीर की बनावट लड़कों जैसी हो जाएगी। हाल ही में मेरे पास दो अलग अलग महिलाओं से ये सवाल आया कि हम वजन से व्यायाम करना चाहते है परन्तु हमें डर है कही हम लड़कों जैसे ना दिखने लगें बस इस लिए ही मेरे लिए ये लेख लिखना जरुरी हो जाता है।
एक सुन्दर और शक्तिशाली शरीर के निर्माण के लिए महिलाओं को अपने व्यायाम रूटीन में वजन से व्यायाम और एरोबिक्स व्यायाम दोनों को शामिल करना होगा। यह सही है कि अफवाहों पर विश्वास करना आसान है मगर उनको दिमाग से हटाने में बहुत ज्यादा समय लगता है। यही कारण है कि लोगों को व्यायाम आरम्भ करने से पहले पत्रिकाओं और किताबों से ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करने का उपदेश दिया जाता है।
ज्यादातर महिलाएं आज भी यही मानती हैं कि वजन से व्यायाम करने से उनका शरीर मर्दों के समान दिखने लगेगा। आपको ये समझना होगा कि विशाल माँसपेशियों के निर्माण के लिए शरीर में मर्दो के सेक्स हार्मोन – Testosterone (टेस्टोस्टेरॉन) का होना बहुत जरूरी है। महिलाओं के शरीर में यह हार्मोन बहुत कम होता है। इसलिए सामान्य तौर पर महिलाओं को विशाल होने की चिंता नहीं करनी चाहिए। जो महिलाएं बॉडी बिल्डिंग और पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेती है उनके जेनेटिक्स बहुत बेहतरीन होते है। इसके अलावा ये महिलाएं बहुत जोरदार व्यायाम, डाइट और सप्लीमेंट रुटीन का पालन करती है। इन सब के योग के कारण वह इतने मस्कुलर (Muscular) शरीर का निर्माण कर पाती हैं।
एक बात याद रखें मर्दों और औरतों (Weight training for women) के लिए अलग-अलग व्यायाम तकनीक नहीं है। वजन से व्यायाम करते समय जो बातें मर्दों के लिए सच होती हैं वह औरतों पर भी लागू होती है। वज़न से व्यायाम करते समय केवल दो बाते होती हैं सही तकनीक और गलत तकनीक। इसलिए केवल सही तकनीक पर ध्यान केन्द्रित करें और उसे अपनाएं।
मर्द और औरत के शरीर में भिन्नता
मर्दों और औरतों की शारीरिक रचना भिन्न होती है, इस बात में कोई दो राय नहीं। जब मर्दों और औरतों के शरीर की तुलना की जाए तो आप पाएंगे कि
- महिलाओं की हड्डियाँ पतली और कमजोर होती है।
- महिलाओं के शरीर का ऊपरी हिस्सा निचले हिस्से की तुलना में छोटा होता है।
- महिलाओं के शरीर में हृदय और लंग्स छोटे होते हैं।
- महिलाओं के शरीर में कम मसल कोशिकाएं और ज्यादा फैट कोशिकाएं होती हैं।
- महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन 1 (महिलाओं का सेक्स हार्मोन) ज्यादा होता है और टेस्टोस्टेरॉन (मर्दों का सेक्स हार्मोन) बहुत कम होता है।
इन सब बातों के बाद भी जब फिटनेस, व्यायाम और माँसपेशियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए तो हम पाते हैं कि मर्दों और औरतों में कई बातें समान हैं। मर्दों और औरतों के शरीर पर वज़न से व्यायाम का समान असर पाया गया है। एरोबिक्स व्यायाम करने पर पुरुषों और औरतों की कार्डियोवैस्कुलर क्षमता (स्टॅमिना) बढ़ जाती है। स्ट्रेचिंग करने पर मर्दों और औरतों के शरीर का लचीलापन बढ़ने लगता है। वजन से व्यायाम करने पर दोनों के शारीरिक शक्ति का विकास होता है और उनके शरीर में मसल मास भी बढ़ने लगता है। आज कल महिला खिलाड़ी भी मर्दों के समान व्यायाम और ट्रेनिंग रूटीन का पालन करती हैं। यही कारण है कि हर बार ऑलम्पिक्स में महिलाएं नए-नए रिकार्ड कायम कर रही हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि महिलाएं पुरुषों के समान मस्कुलर और विशालकाय नहीं बन सकती हैं।
युवावस्था में प्रवेश करने के उपरान्त लड़कियों का शरीर लड़कों की तुलना में काफी कम बढ़ता है। इसका कारण यह है कि लड़कियों का शरीर प्राकृतिक तौर से गर्भावस्था की तैयारी में जुट जाता है। जब महिलाओं के शरीर में विकास थम जाता है तब वह गर्भावस्था के लिए तैयार हो जाती हैं। औरतों के शरीर का पेलविस मर्दों की तुलना में ज्यादा बड़ा होता है। औरतों के शरीर में टाँगों और हिप का जोड़ मर्दों की तुलना में कम लाभदायक स्थिति में होता है। इसलिए वो ज़्यादा ऊँची या लम्बी छलाँग और तेज़ दौड़ नहीं लगा पाती हैं। युवा अवस्था में प्रवेश करने के उपरान्त महिलाओं के शरीर में मसल मास का विकास बहुत धीमी गति से होता है जबकि युवक अपनी जेनिटिक्स रचना के अनुसार कई गुणा अधिक तीव्रता से माँसपेशियों का विकास उत्तेजित कर पाते हैं। जो महिलाएं एनाबोलिक स्टेरॉयड का सेवन करती हैं या फिर हार्मोन लेती हैं वह भी मर्दों के समान मस्कुलेरिटी और डेफेनिशन (muscularity & Definition) का निर्माण नहीं कर पाती हैं। महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक तौर से बहुत कम मसल फाइबर होता है। वज़न से व्यायाम करते समय आप इन फाइबर की कोशिकाओं के आकार को बढ़ाते हैं उनकी संख्या को नहीं बढ़ाते हैं।
वजन से व्यायाम करने का सही तरीका बहुत जरुरी है
बहुत अच्छे जेनेटिक्स वाली महिलाएं जो जोरदार व्यायाम रूटीन का पालन करती हैं और अपने डायट का भी खास ध्यान रखती हैं वह कई बार सामान्य युवकों से ज्यादा विशाल और मस्कुलर दिखती हैं, मगर ऐसी बेहतरीन जेनेटिक्स वाली महिलाएं संसार भर में गिनती की हैं। रिसर्च के अनुसार महिला खिलाड़ी कभी भी मर्दों (खिलाड़ियों) के समान फुर्तीले, चुस्त और शक्तिशाली नहीं बन सकती हैं। उनकी शारीरिक रचना प्राकृतिक रूप से ही कमजोर होता है, मगर सामान्य युवक और युवतियाँ प्रतियोगिता में भाग लेने के उद्देश्य से व्यायाम नहीं करते हैं। वह सभी एक बेहतर शरीर का निर्माण करना चाहते हैं और एक स्वस्थ और फिट् जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। आज के तनाव ग्रस्त जीवन में हर युवक के लिए व्यायाम का खास महत्व है।
खिलाड़ियों और सामान्य लोगों के लिए अलग अलग ट्रेनिंग तकनीक नहीं होते हैं। खिलाड़ी केवल ज्यादा तीव्रता से व्यायाम करते हैं और एक जबरदस्त डायट रूटीन का पालन करते हैं। वह सामान्य व्यायाम रूटीन के अतिरिक्त खेल प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए भी व्यायाम करते हैं। महिलाओं को सुन्दर और फिट दिखने का बहुत शौक होता है। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं जिम में वज़न को नियंत्रण में रखने के लिए एरोबिक व्यायाम करती हैं। उनके अनुसार एरोबिक व्यायाम से वह अपने शरीर को फैट रिक्त रखने में सफलता हासिल करेंगी।
हर महिला को अपने व्यायाम रूटीन (Weight training for women) में एरोबिक्स व्यायाम और वज़न से व्यायाम के सही योग को शामिल करना चाहिए। वजन से व्यायाम एनेरोबिक व्यायाम (Anaerobic exercise) के नाम से भी जाना जाता है। जब महिलाएं किसी सुन्दर, सुडौल महिला से मिलती हैं जो वजन से व्यायाम करती है तब उनके लिए वजन से व्यायाम के महत्व को स्वीकार करना आसान हो जाता है। जब बॉडी बिल्डिंग शब्द का प्रयोग होता है तो शायद सभी लोगों को एक ही नजारा दिखता है कई विशाल और मस्कुलर युवक और महिलाएं प्रतियोगिता मंच पर खड़े होकर पोजिंग कर रहे हैं और नीचे बैठे दर्शक उनका उत्साह बढ़ा रहे हैं। इसमें आपका कोई दोष नहीं है। वास्तव में बॉडी बिल्डिंग का एक और बड़ा पहलू है जिसे सभी लोग अनदेखा कर देते हैं। बॉडी बिल्डिंग में आप अपने शरीर के रूप को निखारते हैं और उसे आकर्षक बनाने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करते हैं।
ज्यादातर महिलाएं जिम में बहुत हल्के वजन से व्यायाम करती हैं जो एरोबिक्स व्यायाम के समान ही बन जाता है। रिसर्च के अनुसार महिलाएं जिम में जाकर जो व्यायाम करती हैं उसका कोई खास लाभ नहीं होता है। यदि आप शक्तिशाली बनना चाहती हैं और अपने माँसपेशियों को सख्त बनाना चाहती हैं तो आपको सही व्यायाम शैली (Weight training for women) का पालन करना होगा। वजन से व्यायाम करते समय यदि आपके शरीर पर किसी भी प्रकार का जोर नहीं पड़ता है तो आपका शरीर विकास की राह में आगे नहीं बढ़ेगा।
महिलाओं को माँसपेशियों के विकास के लिए मर्दों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। मगर वह किसी भी हाल में मर्दों के समान माँसपेशियों का आकार और रूप का निर्माण नहीं कर सकेंगी। महिलाओं को ज्यादा विशाल होने की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। यदि आप ज्यादा व्यायाम करेंगी तो महिला खिलाडियों के समान फिगर बनाने में सफल हो जाएंगी। शरीर के रूप को बेहतर बनाने के लिए आपको पहले माँसपेशियों के आकार को बढ़ाना होगा। यही माँसपेशी आपके शरीर के सौन्दर्य को चार चाँद लगाते हैं। माँसपेशियों का रूप और सौन्दर्य होता है मगर फैट का कोई रूप नहीं होता और वह आपके शरीर के सौन्दर्य को घटाता है। जब आप बहुत ज्यादा डायटिंग करते हैं तब आपके शरीर का फैट तो कम होता है मगर साथ ही मसल मास भी घटने लगता है। यदि त्वचा के भीतर माँसपेशियों का विकास अधूरा है और वो कमजोर हैं तो आप उस हिस्से के रूप को बेहतर नहीं बना सकेंगे। इसलिए जब आप फैट घटाने के लिए डायटिंग करते हैं और एरोबिक्स व्यायाम करते हैं तब साथ में वज़न से व्यायाम भी करें। इससे आप अपने मसल मास को सुरक्षित रख सकेंगे।
व्यायाम से परिणाम
ज्यादातर महिला बॉडी बिल्डरों के अनुसार बेहतर फिट्नेस और स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करने वाली औरतों को मूल व्यायाम नियमों का पालन करना चाहिए। सामान्य युवतियों को बॉडी बिल्डरों के समान तीव्र व्यायाम की जरूरत नहीं मगर उनको रूटीन (Weight training for women) का निर्माण करते समय मूल शारीरिक विकास तकनीकों का पालन करना चाहिए। सही व्यायाम तकनीक का पालन करने से आप जल्द परिणाम पा सकेंगी। इसलिए सबसे पहले जिम जाकर वज़न से व्यायाम करना आरम्भ करें। हफ्ते में तीन दिन वजन से व्यायाम करें। हर दिन आप एक ही व्यायाम रूटीन का पालन कर सकती है या फिर माँसपेशियों को बाँटकर व्यायाम के दिनों में दो या तीन माँसपेशियों के व्यायामों को साथ में कर सकती हैं।
हर माँसपेशी के लिए केवल 2 या 3 व्यायाम करें। हर व्यायाम के लिए 3 मुख्य सेट करें। हर माँसपेशी के लिए एक मूल कम्पाऊन्ड मल्टिजॉइंट व्यायाम (compound multi joint exercises) अवश्य करें जैसे चेस्ट के लिए बेंच प्रेस, शोल्डर के लिए कंधों के आगे बारबल प्रेस, टाँगों के लिए स्क्वॉट, बैक के लिए बेन्ट ओवर बारबल रोइन्ग आदि। दूसरे व्यायाम के लिए आप कम्पाउन्ड या आइसोलेशन व्यायाम का चुनाव कर सकती हैं। 30 से 40 मिनिट में आपका वजन से व्यायाम रूटीन समाप्त हो जाना चाहिए। सेटों में 12 से 15 रैप करें और इन ट्रेनिंग सिद्धान्तों का पालन करें।
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- प्रोग्रेसिव रेजिस्टेंस (Progressive resistance)
इस सिद्धान्त के अनुसार जैसे-जैसे आपके माँसपेशियों के शक्ति का विकास होता है आप वजन के भार को बढ़ा देती हैं। इससे आप लगातार माँसपेशियों पर नए जोर के असर को केन्द्रित कर पाती हैं। उदाहरण के लिए आप 15 किलो वजन से 12 रैप बेंच प्रेस कर पाती हैं। कुछ हफ्तों में आप 15 किलो से 15 रैप करने में सफल हो जाएंगी। तब वजन को 17 किलो करें और पुनः 15 रैप करने का प्रयास करें। शायद आप केवल 12 रैप ही कर सकेंगी। जिस दिन आप 15 रैप करने में सफल हो जाती हैं वज़न को एक बार फिर बढ़ा दें। - स्प्लिट सिस्टम (Split system training)
सभी माँसपेशियों के व्यायामों को एक रूटीन में करने से बेहतर है कि दो या तीन माँसपेशियों के व्यायाम को एक दिन करें। - फ्री वजन से व्यायाम
कई महिलाएं केवल मशीनों पर व्यायाम करती हैं। मशीनों पर व्यायाम करना ज़रूरी है मगर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है फ्री वज़न से व्यायाम। फ्री वज़न से व्यायाम का अर्थ है बारबल और डम्बल से किया जाने वाला व्यायाम जैसे बेंच प्रेस, स्क्वॉट, बारबल कर्ल, डम्बल कर्ल आदि। - व्यायाम का पूरा मूवमेंट
हर व्यायाम का पूरा मूवमेंट करना जरूरी है। केवल इसी से आप सभी मसल फाइबरों को उत्तेजना प्रदान कर सकेंगी। इसलिए हर व्यायाम को पूरे कॉन्ट्रेक्शन से पूरे एक्स्टेंशन तक करें। - आइसोलेशन ट्रेनिंग (Isolation Exercises)
हर माँसपेशी को अलग से व्यायाम प्रदान करना सीखें। इससे आप कमजोर माँसपेशियों को शक्तिशाली बनाने में सफल हो जाएंगे। - ट्रेनिंग तीव्रता
तीव्रता से ट्रेनिंग करना जरूरी है। सही मात्रा में तीव्रता का प्रयोग करें- न ज्यादा न कम। व्यायाम करते समय माँसपेशी पर वजन के जोर को महसूस करें। दिखावे के लिए व्यायाम न करें। दिखावा करके आप केवल स्वयं को धोखा दे रहे हैं।
- प्रोग्रेसिव रेजिस्टेंस (Progressive resistance)
कुछ बातों का खास ध्यान रखें। जरूरत से ज़्यादा व्यायाम न करें। इससे ओवरट्रेनिंग का खतरा अवश्य बढ़ जाता है। इसलिए समय और तीव्रता का खास ध्यान रखें। थकान तक रैप को जारी रखें। एक निर्धारित रैप संख्या करके सेट को समाप्त न करें। रैप को थकान तक जारी रखें। इससे आप ज़्यादा से ज़्यादा मसल फाइबरों को उत्तेजना प्रदान कर सकेंगी। यदि आप 15 से ज्यादा रैप कर पाती हैं तो वज़न को बढ़ा दें। स्वयं व्यायामों का निर्माण न करें। सही व्यायामों का चुनाव करें। मदद के लिए कोच की राय लें।
हर माँसपेशी का विकास जरूरी है। यदि आपके शरीर में कोई कमजोर माँसपेशी हैं तो आपके शरीर का विकास सम्पूर्ण नहीं कहलाएगा, इसलिए अपने रूटीन में सभी माँसपेशियों पर बराबर ध्यान केन्द्रित करें। एक ही दिन में सही तकनीक सीखने की उम्मीद न करें। सही तकनीक को सीखने और अपनाने में समय लगता है। इसलिए शरीर को पर्याप्त समय दें। व्यायाम के उपरान्त कूल डाऊन करें। व्यायाम रूटीन के बाद स्ट्रेचिंग व्यायाम करें और माँसपेशियों के थकान को दूर करें। धीरे-धीरे व्यायाम में तीव्रता को बढ़ाएं। कुछ ही समय में आप अपने दोस्तों और परिवारजनों को आश्चर्य चकित कर देंगे। आपके सौन्दर्य और रूप को देखकर सभी दंग रह जाएंगे।
4 thoughts on “क्या महिलाओं को वजन से व्यायाम करना चाहिए ? Should women do weight training in gym”
aapki tips ke liye thankyou. aapne sahi likha bahut hai jinko lagta hai gym jaane se ladko jaise dikhne lagenge par ye hota nahi hai. vo alag hi ladkiya hai jo professionally karti hai jinki body heavy lagne lagti hai.
आपका शुक्रिया।
मुझे भी यही कन्फ़्यूज़न रहती है कि जिम जाने से मेरी बनावट लड़कों जैसी लगने लगेगी। आपने बहुत आसान तरीक़े से समझा दिया।
आपका धन्यवाद