Protein kya hota hai hame daily kitna protein lena chahiye | All About Protein
Bodybuilder ko pratidin kitna protein lena chahiye
Masals banaane ke lie aakhir kitana proteen lena chaahie
प्रोटीन के बारे में आज भी बहुत से लोगों में काफी ज्यादा उलझन है क्या है कैसे लेना है कितना लेना है सुरक्षित है भी या नहीं? इन सभी उलझनों को (All About Protein) मैं आज बहुत ज्यादा साइंस में नहीं जा कर बिलकुल आसान भाषा में समझाने की कोशिश करूँगा और मुझे उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपकी सभी उलझने दूर हो जाएँगी।
प्रोटीन (Protein) वास्तव में एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है सबसे जरूरी । शायद बॉडी बिल्डरों की जरूरतों को नजर में रखकर ही इसे यह नाम दिया गया। जिस प्रकार ग्लैकोजेन के निर्माण का मूल तत्व ग्लूकोस होता है ठीक उस प्रकार अमीनो एसिड से प्रोटीन का निर्माण होता है । यह आपके सेल्स का सबसे महत्वपूर्ण अंश होता है। प्रोटीन से ही शरीर के माँसपेशियों का निर्माण होता है। शरीर का चाहे कोई भी बड़ा या छोटा हिस्सा हो उसमें प्रोटीन अवश्य पाया जाता है।
प्रोटीन का मूल कार्य यह है कि वो शरीर को एनबोलिक यानी माँसपेशियों के निर्माण होने की स्थिति में रखने के लिए उसे अमीनो एसिड प्रदान करता है। प्रोटीन वैसे तो ईधन का कार्य भी करता है। यह ईधन के रूप में तब काम आता है जब आपने अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर रखा हो और आप अपना व्यायाम रूटीन कर रहे हो। बॉडी बिल्डर तो शरीर को एनबोलिजम या माँसपेशियों के निर्माण के उच्चतम स्थर पर रखना चाहते हैं। वैज्ञानिक आपके शरीर के एनबालिक स्तर को नापने का एक तरीका इस्तेमाल करते है- नाइट्रोजन बैलेन्स । प्रोटीन का एक हिस्सा नाइट्रोजन भी होता है।
वास्तव में प्रोटीन का 16% हिस्सा नाइट्रोजन ही होता है। तो जब आप प्रोटीन का सेवन करते हैं तो आप नाइट्रोजन भी शरीर में ले रहे हैं। अगर आप शरीर में मसल मास बढ़ाना चाहते है तो आपको अपने शरीर को नेगेटिव नाइट्रोजन बैलेन्स में नही आने देना चाहिए। जब आप शरीर द्वारा नष्ट किए जाने वाले प्रोटीन से कम प्रोटीन खाते है तो आपका शरीर इस स्थिति में पहुँचता है। जब आप शरीर द्वारा नष्ट किए जाने वाले प्रोटीन से अधिक मात्रा में प्रोटीन लेते हैं तो शरीर पॉजिटिव नाइट्रोजन बैलन्स से होता है।
बॉडी बिल्डरों को कितना प्रोटीन खाना चाहिए। About Protein
यह एक वाद विवाद का विषय है। मैं कई वैज्ञानिकों और डाक्टरों को जानता हूँ जो यह मानते हैं कि ज्यादा प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक होता है। मगर प्रोटीन विशेषज्ञ पीटर लेमन, पी एच डी, के अनुसार ज्यादा प्रोटीन लेने से होने वाले बुरे असरों को ज्यादा ही बढ़ाया चढ़ाया गया है। आज तक किसी भी खोज में यह नहीं पाया गया कि रोजाना के जरूरत का दो या तीन गुणा खाने से व्यायाम करने वाले युवकों पर किसी प्रकार का बूरा असर हुआ हो हाँ, अगर आपके किड्नी खराब हो तो ज्यादा नाइट्रोजेन को शरीर से निकालने का कार्य करने में वो असमर्थ हो जाते है और उस अवस्था से हमें जरूरत के अनुसार ही प्रोटीन लेना चाहिए। वेट ट्रेन करने वाले युवकों को दिन में प्रति पाउन्ड शारीरिक वजन के लिए 1 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
इस मात्रा से मैंने आज तक कोई बुरा असर नहीं पाया है। जिन क्षेत्रों में लोग खाने में सामान्य तौर पर ज्यादा प्रोटीन खाने के आदी होते हैं उनमें भी किड्नी की किसी प्रकार की बीमारी नहीं पाई गई। यही बात बॉडी बिल्डरों पर भी लागू होती है। एक बात का खास ध्यान रखें कि आपको ज्यादा प्रोटीन वाले आहार के साथ खूब सारा पानी पीना चाहिए। वैसे भी बॉडी बिल्डरों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आदत डालनी चाहिए खासकर जब वो कोई सप्लिमेन्ट का सेवन कर रहे हो।
डाक्टरों के अनुसार दिन में किसी भी युवक को 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो शारीरिक वजन के लिए खाना चाहिए। यह मात्रा किसी भी खिलाड़ी या बॉडी बिल्डर के लिए बहुत कम होता है। व्यायाम करने वाले युवकों में मसल प्रोटीन शरीर में नष्ट होता है मगर व्यायाम के उपरान्त करीब 24 घंटों तक मसल प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है। अगर आप इस समय सही मात्रा मे प्रोटीन नही खाएंगे तो शरीर विकास की राह में बहुत पीछे रह जाएगा। आधुनिक खोज के अनुसार बॉडी बिल्डरों को शारीरिक मास बढ़ाते समय प्रति किलो शारीरिक वजन के लिए 1.5 से 2.2 पाउन्ड प्रोटीन का सेवन करना जरूरी होता है।
किस प्रकार का प्रोटीन खाना चाहिए? | About Protein
जो प्रोटीन (About Protein) आप खाते हैं उसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होने चाहिए। इन अमीनो एसिड को एसेन्शियल अमीनो एसिड कहते हैं जिसका अर्थ है जरूरी अमीनों एसिड। ये इतने जरूरी इसलिए होते हैं क्योंकि शरीर में इनका निर्माण नहीं किया जाता है और इन्हें आहार के जरिए से ही लेना पड़ता है। इस गिनती में ब्रांच चेन अमीनो वॅलाइन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, लाइसीन, मीथिओनाइन, थ्रओनाइन, ट्रिप्टीफैन आदि आते है। छोटे बच्चों के लिए हिस्टिडीन भी जरूरी होता हैं। शरीर सिस्टाइन को मीथिओनाइन से और ट्राइओसीन को फिनाइलनाइन से निर्माण करता है। मूँगफली में पाए जाने वाले प्रोटीन में सभी जरूरी अमीनो एसिड का सही संग्रह नहीं पाया जाता है जिसके कारण उसको लेने से शरीर को कोई खास लाभ नहीं हो पाता है।
वैज्ञानिक प्रोटीन के क्वालिटी को टेस्ट करने के लिए उसके बायलोजिकल वॅल्यू का प्रयोग करते है। बायलोजिकल वॅल्यू वह अंक होता है जिससे पता चलता है कि खाए गए प्रोटीन से कितना प्रोटीन शरीर द्वारा स्वीकार किया गया है। अगर किसी आहार के प्रोटीन में सभी जरूरी अमीनो एसिड सही तुलना में पाए जाते हैं और वो शरीर द्वारा आसानी से स्वीकार किया जाता है तो उसका बायलोजिकल वॅल्यू 100 के करीब होता है। अगर किसी आहार से मिलने वाले प्रोटीन में सभी जरूरी अमीनो एसिड नही होते हैं तो उसका बायलोजिकल वॅल्यू काफी कम होता है।
व्हे प्रोटीन से पहले सबसे ज्यादा बायलोजिकल वॅल्यू अन्डे में माना जाता था। इसी से बाकी प्रोटीन आहारों की तुलना की जाती थी। व्हे प्रोटीन की बायलोजिकल वॅल्यू 159 होता है जो अन्डों से भी ज्यादा होता हैं। व्हे प्रोटीन से ना केवल आप विशालकाय हो जाएंगे बल्कि आपका इम्यून सिस्टम भी शक्तिशाली ही जाता है।
प्रोटीन खाने का सही समय क्या है?
माँसपेशियों के विकास के बारे में अभी पूरी जानकारी तो विज्ञान भी नहीं हासिल कर सका है, मगर हम इतना अवश्य जानते हैं कि माँसपेशियों के विकास के लिए शरीर को एनबोलिक स्थिति में रखना आवश्यक होता है। एनबोलिक अवस्था वह होती है जब शरीर में मसल मास का निर्माण होता है जबकि कॅटाबोलिक अवस्था में शरीर में मसल प्रोटीन नष्ट होता है। अर्थात आपको अपने माँसपेशियों को अच्छा पोष्टिक अमीनों एसिड, ग्लूकोस और थोड़ा फैट से युक्त आहार खिलाना चाहिए। क्या यही कारण है कि बॉडी बिल्डर सारे समय खाते रहते है? इससे वो अपने शरीर को सारा समय एनबोलिक अवस्था में रखने में कामयाब होते है। वैज्ञानिकों के अनुसार वेट ट्रेन करने वाले युवकों मे व्यायाम के 1-2 घंटों के अन्दर ही शरीर में मसल प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है। एक रिसर्च के अनुसार व्यायाम के बाद एक दिन तक मसल प्रोटीन का निर्माण ज्यादा हो जाता है। यह बात काफी जरूरी है। एक और जरूरी बात यह है कि माँसपेशियों का विकास रात को सोते समय बढ़ता है।
एक समय पर कितना प्रोटीन खाना चाहिए और कितने देर बाद फिर से खाना चाहिए? (All About Protein)
एक समय पर कितना प्रोटीन लेना चाहिए? इस विषय पर बॉडी बिल्डरों के अलग अलग विचार हैं। कुछ अनुभवी बॉडी-बिल्डर्स के अनुसार एक समय पर 30-40 ग्राम प्रोटीन लेना काफी होता है। वैसे तो कई बॉडी बिल्डर इस मात्रा का दो या तीन गुणा भी खाते है, मगर इस बात का कोई सबूत नही कि इसका कोई लाभ है। कितनी देर बाद फिर से प्रोटीन लेना चाहिए? मेरे अनुसार हर तीन घंटों के बाद प्रोटीन से भरपूर एक आहार लेने चाहिए। आपकी पाचन क्रिया प्रोटीन को जल्दी शरीर तक पहुँचाने की शक्ति रखता है। इसलिए हर तीन घंटों बाद प्रोटीन लेना शरीर के लिए फायदेमंद होता हैं ।
क्या सोया प्रोटीन लेना सही है?
बॉडी बिल्डरों को यह वहम होता है कि शाकाहारी तत्वों से मिलने वाला प्रोटीन माँसाहारी की तुलना में कम अच्छा होता है। शायद काफी हद तक यह बात सच होती है, मगर सोया प्रोटीन में यह बात गलत हो जाती है। शाकाहारी तत्वों में सोया प्रोटीन सबसे उत्तम श्रेणी का होता है। इस बात में कोई तर्क नहीं। आधुनिक वैज्ञानिक खोज के अनुसार सोया प्रोटीन अंडो के सफेद हिस्से और केसीन प्रोटीन जितना ही अच्छा होता है और बीफ से थोड़ा अच्छा माना जाता है। सोया प्रोटीन में वो फायदे देखें गए हैं जो माँसहारी प्रोटीन में भी नहीं पाए जाते हैं। सोया प्रोटीन से ट्यूमर बड़ा होना बंद हो जाता है। करक्यूमिन और जेनेस्टेइन जो सोयाबीन में पाए जाते हैं वो कैंसर के विरूद्ध कार्यशील पाए गए है खासकर ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ। डियाड्जीन, सोया प्रोटीन का एक आइसोफलेवोन माँसपेशियों के विकास में काम आती है। अर्थात सोया प्रोटीन से ना केवल शरीर एनाबोलिक अवस्था में रहता है बल्कि शरीर के बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ जाती है।
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